रमेश ठाकुर / नई दिल्ली
जस्टिस यशवंत वर्मा के कैशलोक से कई बेनकाब होने को थे। कथित 15 करोड़ रुपए के वर्मा अकेले भागीदार नहीं थे, हिस्सेदार और भी बहुतेरे थे। वर्मा को पैसा किसने दिया, किस एवज में मिले? ये सब जस्टिस वर्मा उजागर करने को थे? लेकिन उनके इस डर के चलते मामले पर पर्दा डाला गया। सुप्रीम कोर्ट से लेकर फायर ब्रिगेड, पुलिस अधिकारी भी पलट गए। अंदरूनी सूत्रों से पता चला कि जो अवैध धन वर्मा के यहां आग लगने के दौरान मिला, वो मोदी सरकार के कसों को दबाने में जस्टिस वर्मा को बतौर रिश्वत दिया गया था। सूत्रों ने यह भी बताया कि जस्टिस वर्मा ने धमकी दे डाली थी? अगर मामले में वह अकेले फंसे, तो खुलासा कर देंगे कि पैसा कहां से और किसके लिए मिला था?
बता दें कि जस्टिस के घर लगी आग तो बुझ गई, लेकिन उसकी तपिश बरकरार है। घटना के बाद मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आपात मीटिंग भी बुलाई थी। वर्मा पर कड़े एक्शन के आदेश हुए थे, उनका तबादला एलाहाबाद कर दिया था, लेकिन अब सभी अपनी बातों से पलट गए। प्रशासनिक अमला भी मुकर गया है। फायर ब्रिगेड कर्मी भी अब बोलने लगे हैं कि उन्हें कुछ नहीं मिला था?