महाराष्ट्र में भाजपा और उसके सहयोगियों को पाशवी बहुमत मिला। उस पाशवी बहुमत की सरकार नपुंसक है। बहुमत तो है, लेकिन वह बहुमत खरा नहीं है। यदि ऐसा नहीं होता तो मुंबई, ठाणे, कल्याण, अंबरनाथ इलाकों में मराठी माणुस पर इतने क्रूर हमले नहीं होते। मराठी द्वेषियों को लगता है कि अब महाराष्ट्र में हमारी सरकार आ गई है। इसलिए अगर मराठी माणुस को लात मारी भी जाए, कुचला भी जाए तो हमारा कौन क्या बिगाड़ लेगा? वे इसी मस्ती में हैं। कल्याण के एक पॉश इलाके में अखिलेश शुक्ला नामक एक व्यक्ति ने गुंडों की मदद से एक मराठी परिवार पर हमला किया। इस बहाने कि मराठी लोग मछली और मटन खाते हैं। वो और उसके गुंडे कल्याण इलाके में झुंडशाही करते हैं और फडणवीस की पुलिस शुक्ला के सामने हथियार डाल देती है। वह जो भी है, वह महाराष्ट्र मंत्रालय में काम करता है और मंत्रालय के अधिकार का इस्तेमाल पुलिस पर दबाव बनाने के लिए करता है। इसलिए, फडणवीस की पुलिस एक खून से लथपथ मराठी परिवार की शिकायत लेने के लिए तैयार नहीं है। शुक्ला ने धमकी देते हुए कहा, ‘अगर तुमने मुझे छुआ तो याद रखना, तुम्हें मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आएगा।’ क्या इसका मतलब यह है कि मुख्यमंत्री कार्यालय मराठी माणुस पर हमलों का समर्थन करता है? मराठी लोग मेरे सामने झाड़ू लगाते हैं, ये लोग इस तरह अहंकारी भाषा का उपयोग करने लगे हैं। इसकी वजह है मोदी-शाह-फडणवीस की महाराष्ट्र को कमजोर करने की रणनीति। इस तिकड़ी ने मराठी माणुस और महाराष्ट्र को कमजोर करने के लिए शिवसेना को तोड़ दिया। शिवसेना का गठन मराठी माणुस के न्यायिक अधिकारों के लिए हुई और मराठी माणुस
स्वाभिमान से जी सके
इसके लिए शिवसेना संघर्ष करती रही है। उस संघर्षशील रवैये से ही मुंबई और मराठी माणुस जीवित रहे, लेकिन मोदी-शाह मुंबई को अडानी की जेब में डालना चाहते हैं और जब तक शिवसेना है तब तक यह चाल सफल नहीं होगी, इसलिए शिवसेना को तोड़ने की साजिश को अंजाम दिया गया। इसके चलते मुंबई की सारी संपत्ति अब अडानी और अन्य बाहरी आसानी से हड़प सकेंगे। फडणवीस सरकार कोई जनादेश नहीं है। विधानसभा में अपने भाषण में मुख्यमंत्री फडणवीस ने बहुमत देने के लिए राज्य की १४ करोड़ जनता का आभार माना। मुख्यमंत्री को बहुमत पाने के एवज में ईवीएम, पैसा, ईडी और सीबीआई का आभार मानना चाहिए था। अगर मराठी माणुस, किसानों और मजदूरों ने वोट देकर इस सरकार को चुना होता, तो लोगों सड़कों पर आकर ‘मारकडवाडी’ की तरह फिर से मतपत्र पर वोट करने के लिए नहीं कहते। महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार मराठी मिट्टी और मराठी अस्मिता की कोख से नहीं आई है। यह जुमलेबाजी, जुगाड़बाजी और अनैतिक मार्ग से सत्ता में आने वाली सरकार है। इसलिए जीत की खुशी नहीं बल्कि एक तरह से ऐसा माहौल है कि जैसे महाराष्ट्र को सूतक लग गया हो। मराठी माणुस की दिन दहाड़े हत्याएं हो रही हैं। मुंबई-ठाणे जैसे शहरों में गुजराती और मारवाड़ी लोग मराठी बोलने वालों को धमका रहे हैं। मुंबई में ही मराठी भाषियों को जगह नहीं दी जा रही हैं। यदि यह तस्वीर मुख्यमंत्री फडणवीस और उनके दो ‘उप’ को विचलित नहीं करती है, तो उनके खून का मराठीपन नष्ट हो गया है। फडणवीस खुद महाराष्ट्र को तोड़ने यानी स्वतंत्र विदर्भ के पक्ष में हैं। आज वे चुप हैं क्योंकि उन्हें महाराष्ट्र की सत्ता मिल गई है। उनके राज्य में मराठी मानुष
अपमानित व भयभीत
है और ‘असली शिवसेना हमारी ही है’ ऐसा बोलने वाले भाजपा के गुलाम अपना मुंह छुपाए बैठे हुए हैं। मोदी-शाह यही चाहते थे और उन्होंने ऐसा कर दिखाया। मराठी माणुस और महाराष्ट्र के स्वाभिमान का अपनी आंखों के सामने ही कचरा होते देख भी ये ‘कायर’ लोग लेक्चर सुनने संघ मुख्यालय में जाते हैं। उस लेक्चर में महाराष्ट्र की अस्मिता और मराठी स्वाभिमान का कोई स्थान नहीं है। कल्याण की घटना पर विधानमंडल के दोनों सदनों में तीखी प्रतिक्रिया और आक्रोश को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठी भाषी परिवार को पीटने वाले एमटीडीसी के कर्मचारी अखिलेश शुक्ला को निलंबित करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने अब कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र मराठी माणुस का था, है और रहेगा। हालांकि मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी है कि ‘ऐसे लोगों को बख्शा नहीं जाएगा’ लेकिन यह सवाल अनुत्तरित ही है कि जब से यह सरकार सत्ता में आई है तब से इन लोगों की मराठी भाषियों पर हमला करने की हिम्मत वैâसे बढ़ी? आज मुंबई, ठाणे, पुणे, नासिक में मराठी माणुस पर हमले जारी हैं। कल यह नागपुर, अमरावती, जलगांव तक पहुंचेगा और महाराष्ट्र को कमजोर कर मोदी-शाह-फडणवीस का गुलाम बना देगा। शिवसेना को तोड़कर सत्ता के लिए सरकार के साथ गए लाचार पेड़े बांटने के लिए इसी क्षण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कल्याण का ये शुक्ला कौन है? उसका बाप कौन है? वह मराठी लोगों को किसकी शह पर धमकियां दे रहा है? मुख्यमंत्री कार्यालय में उसका दलाल कौन है? श्रीमान फडणवीस और श्रीमान लाचार इसका खुलासा करें। करना ही पड़ेगा। सरकार आपकी होगी, लेकिन याद रखें यह राज्य ‘मरहाटी’ है। यदि शुक्ला आपके मंत्रालय में नौकर है तो उन पर महाराष्ट्रद्रोह का गुनाह दर्ज कर बर्खास्त करें या फिर उसके लिए आपको उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी? कायरों, पेड़े बांटो, पेड़े बांटो, महाराष्ट्र वास्तव में कमजोर हो गया है!