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प्यास से कराह रहा मराठवाड़ा… ५१ तहसीलों में जल संकट!

– टैंकरों की संख्या एक हजार के पार

-भूजल स्तर में आई गिरावट

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र में एक तरफ लोकसभा चुनाव की बयार चल रही है, तो दूसरी तरफ आम जनता के सामने जल संकट की गंभीर समस्या आन पड़ी है। प्रदेश में सबसे विकट स्थिति मराठवाड़ा की है। यहां के निवासियों को अभी से पेयजल के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। दिलचस्प बात यह है कि मराठवाड़ा में भूजल स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। लगभग ५१ तालुकाओं में गंभीर जल संकट पैदा हो गया है। इतना ही नहीं, मराठवाड़ा में टैंकरों की संख्या भी करीब एक हजार के पार पहुंच गई है, जिसमें अगले दस दिनों में बड़ी बढ़ोतरी की संभावना है। कुल मिलाकर मराठवाड़ा जल संकट से कराह रहा है।
बता दें कि गर्मी की तपिश बढ़ते ही इसका असर भी देखने को मिल रहा है। मराठवाड़ा के ७६ में से ५१ तालुकाओं में भूजल स्तर प्रभावित हुआ है। उच्चतम भूजल स्तर परभणी में २.२८ मीटर है, जबकि सबसे कम स्तर लातूर में २.१३ मीटर में है। भूजल सर्वेक्षण विभाग ने मराठवाड़ा में ८७५ कुओं के जल स्तर की जांच की है और यह आंकड़ा सामने आया है। एक महीने बाद मराठवाड़ा में पानी की स्थिति और गंभीर होने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या मराठवाड़ा फिर से टैंकरवाड़ा बनता जा रहा है।
८०९ गांवों में टैंकरों से जलापूर्ति
मराठवाड़ा में इस साल अपेक्षित बारिश नहीं होने से कई इलाकों में पानी की किल्लत शुरू हो गई है। इसलिए टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। मराठवाड़ा के छत्रपति संभाजीनगर में ४४३, बीड में ११७, जालना में ३२१, लातूर में ८, धाराशिव में ६३ और परभणी जिले में एक समेत करीब एक हजार टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। मराठवाड़ा के ६३९ गांवों और १७० वाडों में टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है, जिसमें १३ सरकारी और ९०० से ज्यादा निजी टैंकर शामिल हैं।

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