-मातमी माहौल में या हुसैन की सदा के बीच निकला ताजिया का जुलूस, कर्बला में किया गया ठंडा
उमेश गुप्ता / वाराणसी
वाराणसी में बुधवार को दसवीं मुहर्रम पर यौमे आशूरा पूरी अकीदत के साथ मनाई गई। इस दौरान शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी ताजिए इमामबाड़ों में ठंडे किए गए। शहर और ग्रामीण अंचल में दोपहर बाद से ही सड़कों पर या हुसैन की सदा गूंजने लगी।
कड़ी सुरक्षा के बीच युवा, बच्चे और बुर्जुग जुलूस के साथ इमाम चौकों पर रखे ताजियों को लेकर मातमी माहौल में या हुसैन की सदा के बीच इमामबाड़ों के लिए निकले। ताजियों को कांधा देने के लिए लोगों में होड़ लगी रही। जगह-जगह समाजसेवी संगठनों ने शरबत और तबर्रुक का वितरण कैंप लगाकर किया। जुलूस के रास्ते में युवाओं और किशोरों ने पटा-बनेठी समेत युद्ध कौशल (फन-ए-सिपहगरी) का प्रदर्शन किया, जिसे देखने के लिए सड़क के दोनों किनारों पर भीड़ जुटी रही। कई जगहों पर खंजर और कमा का मातम भी हुआ। मातम करने वालों का शरीर खून से लथपथ दिखा, लेकिन उनका भाव रहा घाव लग जाये तो कोई गम नहीं, खून बह जाए तो कोई फिक्र नहीं, इमाम हुसैन की शहादत के आगे हर दर्द कम है।
ताजिए के जुलूस में रांगे का ताजिया, बुर्राक का ताजिया, जरी वाला ताजिया, पीतल वाला ताजिया, थर्माकोल व वेलवेट के ताजिए, तुर्बत का ताजिया लोगों में आकर्षण का केंद्र रहे। शहर के अर्दली बाजार, दालमंडी, नई सड़क, मदनपुरा, बजरडीहा आदि इलाकों से ताजिया दरगाहे फातमान की ओर रवाना हुईं। शिवाला इमामबाड़ा की और गौरीगंज के अलावा बजरडीहा व मदनपुरा की ताजिया निकली। आदमपुर में तेलियाना, हनुमान फाटक, कज्जाकपुरा, जलालीपुरा होते हुए सरैया स्थित कर्बला तक ताजिया जुलूस निकाला। देर रात तक दरगाह फातमान, लाट सरैंया, इमामबाड़ा व भवनियां (भेलूपुर) में ताजियों के ठंडा करने का सिलसिला चलता रहेगा। नौवीं और दसवीं मोहर्रम पर हजारों लोगों ने रोजा भी रखा। शाम को मगरिब की अजान के साथ लोगों ने खजूर से रोजा इफ्तार किया। सुबह कर्बला के शहीदों के नाम पर घरों में फातिहा भी पढ़ी गई।
इसके पहले मंगलवार शाम को शहर और ग्रामीण अंचल के सभी इमाम चौकों पर ताजिए बैठा दिए गए। शाम से ताजिए की जियारत करने और फातिहा पढ़ने वालों की भीड़ उमड़ी रही। शहर के दालमंडी, नई सड़क, मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, सरैया, जलालीपुरा, जैतपुरा, पीलीकोठी, बड़ी बाजार,शिवाला, बजरडीहा, लोहता, रामनगर, हुकुलगंज, तेलियाबाग आदि इलाकों में देर रात तक बच्चे और महिलाएं ताजिया देखने के लिए उमड़ती रही। शहर के मशहूर ताजिये रांगे, नगीना, जरी, बुर्राक, पीतल, शीशम, चपरखट के ताजिए की जियारत के लिए खासी भीड़ जुटी रही।