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वर्ली में मशाल… मशाल… और सिर्फ मशाल …आदित्य ठाकरे पर वोटर राजा दिल से फिदा!

सामना संवाददाता / मुंबई
झोपड़पट्टियों में मशाल, बीडीडी चाल में मशाल, पुरानी चाल में मशाल, कामगार बस्तियों में मशाल, सी-फेस में रहने वालों के हाथों में मशाल। हर जगह मशाल… मशाल… और मशाल। यह वर्ली विधानसभा क्षेत्र की तस्वीर है, यहां शिवसेना के मतदाताओं की संख्या में बढ़त देखी जा रही है, जबकि महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे पर एक बार फिर विधानसभा में वर्ली का प्रतिनिधित्व करने के लिए लगभग मुहर लग गई है। वर्ली में मतदाताराजा आदित्य ठाकरे पर दिल से फिदा हैं।
आदित्य ठाकरे के विधायक बनने के बाद उन्होंने वर्ली को ए प्लस बनाने के लिए तेजी से काम किया। उनकी कार्यशैली ने उन्हें बड़ी सोसायटी में रहने वाले लोगों से लेकर झोपड़पट्टियों में रहने वाले लोगों तक का प्रशंसक बना दिया है। महाविकास आघाड़ी सरकार में पर्यटन एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में उल्लेखनीय कार्य करते हुए आदित्य ठाकरे ने वर्ली के विकास के लिए अनेक कार्य किए। निर्वाचन क्षेत्र वर्ली कोलीवाड़ा, पुलिस वैंâप, बीडीडी चाल, गणपतराव कदम मार्ग, गांधीनगर, जीजामाता नगर, प्रेमनगर, सिद्धार्थ नगर, प्रभादेवी के कामगार नगर, लोअर परेल डिलाई रोड, सात रास्ता धोबीघाट, वी. पी. नगर में विभिन्न विकास कार्यों के जरिए आदित्य ठाकरे ने अपनी विधायकी का कौशल दिखाया।
फुटपाथों का सौंदर्यीकरण, रेस कोर्स के आसपास जॉगिंग ट्रैक, वर्ली कोलीवाड़ा में जेट्टी का निर्माण, बीडीडी चाल पुनर्विकास, मुंबई कोस्टल रोड आदि कार्यों से मतदाता आदित्य ठाकरे से खुश हैं। कोली भाइयों और पुलिस घरों के लिए आदित्य ठाकरे द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जा रही है। महालक्ष्मी रेसकोर्स को बिल्डरों के कब्जे में जाने से रोकने के लिए आदित्य ठाकरे ने भी शिंदे सरकार से लड़ाई लड़ी । अपने विधायक कार्य के अलावा, वर्ली निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना और युवासेना द्वारा किए जाने वाले विभिन्न सामाजिक कार्य शिवसेना की ताकत हैं। विधायक सुनील शिंदे और सचिन अहिर ने विधान परिषद के माध्यम से वर्ली में कई मुद्दे उठाए और उनको पूरा किया। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनके साथ मिलने से आदित्य ठाकरे को शानदार जीत मिलने से कोई रोक नहीं सकता है।
विधानसभा चुनाव प्रचार में भी आदित्य ठाकरे ने अन्य मतदाताओं की तुलना में बढ़त बना ली है इस चुनाव प्रचार अभियान में उनके साथ हजारों कार्यकर्ता भी हैं। वहीं घाती गुट के उम्मीदवार मिलिंद देवड़ा को अपने प्रचार के लिए लोगों को किराए पर लाना पड़ा। उसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी की गई थी।

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