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‘मविआ’ सरकार की योजना ला रही रंग    …प्रदेश के १७ जिलों में शुरू हुई पैलिएटिव केयर क्लिनिक!

… दूर करेगा दीर्घकालीन वेदना और तनाव
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई  
कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य चुनौतियों को उजागर कर दिया था। इसके बाद तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार ने मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने पर जोर दिया और कई नई योजनाओं के प्रस्ताव भी तैयार किए। इसके लिए मविआ सरकार ने भारी-भरकम फंड भी उपलब्ध कराया था, लेकिन जनहित वाली इन योजनाओं को घाती सरकार अब हरी झंडी दे रही है। इसी क्रम में प्रदेश से १७ जिलों में पैलिएटिव केयर क्लिनिक शुरू किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, यह क्लिनिक दीर्घकालीन गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के वेदना और तनाव को दूर करने में मदद करेगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य में बड़ी संख्या में दीर्घकालिक गंभीर बीमारियों से लोग जूझ रहे हैं। इन मरीजों का घर पर ध्यान रखना संभव नहीं हो पाता है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने वर्ष २०१२ में पैलिएटिव केयर क्लिनिक को प्रायोगिक तौर पर नासिक जिले के इगतपुरी और पालघर के जव्हार में शुरू किया था। हालांकि, उसके बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान महाविकास आघाड़ी सरकार ने स्वास्थ्य प्रणालियों के विस्तार की जरूरत को समझते हुए वर्ष २०२१-२२ में योजना का विस्तार किया।
ऐसे मरीज, जो ज्यादातर जीवन के अंतिम पड़ाव पर होते हैं और कभी ठीक नहीं हो पाते, उनके लिए उपचारात्मक चिकित्सा उपयोगी नहीं है। केवल वेदना और लक्षणों को कम करने में चिकित्सा उपयुक्त होता है। वैंâसर, स्ट्रोक, एचआईवी दवा प्रतिरोधी टीबी, मानसिक रूप से कमजोर बच्चों, वृद्धावस्था में विकलांगता, किडनी और लीवर विकारों से पीड़ित रोगियों को पॉलिएटिव केयर दी जाती है।
पुरानी या बड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों, शारीरिक विकलांगता वाले मरीजों को शारीरिक समस्याओं के अलावा सामाजिक, भावनात्मक, आर्थिक और आध्यात्मिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में इस तरह के मरीजों के लिए पैलिएटिव केयर क्लिनिक उपयुक्त साबित नहीं हो रही है।

 

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