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महेंद्र सिंह धोनी और सलीमा टेटे होने के मायने … हमारे गांव कोई आएगा?

मनमोहन सिंह
इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी का नाम आते ही जेहन में झारखंड का नक्शा उभर आता है, लेकिन क्या आप जानते हैं झारखंड से एक और कप्तान है, जो खेल से जुड़ी हैं? शायद नहीं, क्योंकि वह क्रिकेट से नहीं जुड़ी हैं (वैसे भी महिला क्रिकेट खिलाड़ी होना हमारे पितृ सत्ता समाज में बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता) इस भारत की महिला सीनियर हॉकी टीम के कप्तान का नाम है सलीमा टेटे।
झारखंड की राजधानी रांची से तकरीबन १६५ किलोमीटर दूर सिमडेगा जिले में बड़की छापर गांव की सलीमा कुल १०७ इंटरनेशनल मैच खेल चुकी हैं। उन्होंने दुनियाभर में हिंदुस्थान का नाम रोशन किया है, लेकिन इस आदिवासी खिलाड़ी की किस्मत इतनी रोशन नहीं है कि उसे पीएम आवास योजना में घर मिल सके! इसकी वजह बकौल मीडिया रिपोर्ट वह क्रिश्चियन हैं। उनके गांव में पानी की सरकारी टंकी तो है, लेकिन उसका पानी पीने लायक नहीं होता। उनके माता-पिता को रोज तकरीबन ३ किलोमीटर पैदल चलकर एक कुएं से पीने का पानी लाना पड़ता है। सलीमा को दिक्कत उस वक्त होती है जब वे अपने गांव से दूर, देश से दूर खेल रही होती हैं और चाहकर भी अपने माता-पिता से बात नहीं के बराबर कर पाती हैं, क्योंकि उनके गांव में मोबाइल नेटवर्क जीरो है।
यह कहानी सिर्फ अकेले सलीमा की ही नहीं है। सलीमा टेटे के अलावा निक्की प्रधान, संगीता कुमारी, दीपिका सोरेन और रोपनी कुमारी यह सभी सीनियर महिला हॉकी टीम से जुड़ी हैं जबकि नीरू कुल्लू, रजनी केरकेट्टा, विनिमा धान, संजना हीरो, निराली कुजूर और निशा मिंज जूनियर हॉकी टीम से जुड़ी हैं।
झारखंड के इन खिलाड़ियों की दिक्कतें लगभग एक-सी हैं। किसी के पास पीएम आवास योजना के अंतर्गत घर नहीं है पीने का शुद्ध पानी नहीं है। पक्की सड़क नहीं है लब्बोलुआब यह कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इन खिलाड़ियों ने विपरीत परिस्थितियों से लड़कर एक मुकाम हासिल किया है। देश का नाम दुनियाभर में ऊंचा किया है। इसके बावजूद उनको और उनके परिवार को आज भी बुनियादी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि एक तरफ झारखंड सरकार धोनी के लिए दोनों हाथों से सब कुछ लुटाने को आतुर है, विश्वकप जीतकर आने वाले खिलाड़ियों की आवभगत के लिए प्रधानमंत्री मोदी उनकी सवारी दिल्ली में उतरवा लेते हैं और दूसरी तरफ झारखंड के दूर-दराज इलाकों में बुनियादी दिक्कतों से जूझ रहे इन महिला खिलाड़ियों की खबर लेने के लिए किसी के पास फुर्सत ही नहीं है।

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