सामना संवाददाता / मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में २००२ के सांप्रदायिक दंगों के बाद एक राजनीतिक व्यक्ति के रूप में उभरे। इन दंगों में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुए थे, जिनमें मॉब लिंचिंग भी शामिल थी और उस समय कहा गया था कि इन सबके लिए नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं। उस पृष्ठभूमि में नरेंद्र मोदी देश और दुनिया में जाने गए। बाद में राजनीति करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को एक भी टिकट नहीं दिया, एक भी मंत्री पद नहीं दिया और मोदी की पार्टी और उनके संगठन के सहयोगियों ने अत्यंत निम्न भाषा में इस समुदाय के खिलाफ अपमानजनक बयानबाजी और अत्याचार किए। इन सबके मद्देनजर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने तीखा हमला करते हुए कहा है कि सौगात-ए-मोदी का मतलब है कि `सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने ईद के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा ३२ लाख मुस्लिम परिवारों को `सौगात-ए-मोदी’ किट दिए जाने के मुद्दे पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह `सौगात’ देते हुए देश को आज भी उस `सौगात’ का इंतजार है, जिसका वादा नरेंद्र मोदी ने २०१४ के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान किया था, जिसमें हर साल दो करोड़ नौकरियां देने, किसानों की आय दोगुनी करने, कृषि उत्पादों का डेढ़ गुना मूल्य देने, विदेशों से काला धन भारत लाकर सभी के खाते में जमा करने तथा पेट्रोल ४० रुपए और डीजल ३५ रुपए प्रति लीटर देने का वादा किया गया था। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने यह भी कहा कि देश उस `सौगात’ का इंतजार कर रहा है।