५८४ करोड़ रुपए चंदा मेघा से मिला था भाजपा को
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने जुलाई २०२३ में ५,१५० इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति के लिए अनुबंध किया था, लेकिन अब तक उसे मेघा इंजीनियरिंग और इंप्रâास्ट्रक्चर लि. की सहायक कंपनियों ओलेक्ट्रा ग्रीन टेक लि. और ईवी ट्रांस प्रा. लि. से केवल २० बसें ही प्राप्त हुई हैं।
बता दें कि अभी तक जो बसें मिली हैं, वह आठ महीनों में अपेक्षित कुल १,७०० बसों का सिर्फ दो प्रतिशत है। समझौते के अनुसार हर महीने २१५ बसें आपूर्ति करनी थी, लेकिन नवंबर २०२३ से जून २०२४ तक केवल २० बसें ही आपूर्ति की गर्इं। एमएसआरटीसी ने इस देरी पर मेघा इंजीनियरिंग पर २.२ करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। एमएसआरटीसी के अधिकारी ने बताया कि ठेकेदार ने उत्पादन समस्याओं का हवाला दिया है और जुलाई के अंत तक ५० और बसें देने का वादा किया है।
बेस्ट ने भी अगस्त २०२३ से पहले मेघा इंजीनियरिंग और इंप्रâास्ट्रक्चर लिमिटेड की सहायक कंपनी ईवी ट्रांस प्रा. लि. से करार की गई २,१०० बसों में से केवल १८५ बसें ही प्राप्त की हैं। मेघा इंजीनियरिंग कंपनी के प्रमोटर पामिरेड्डी पिची रेड्डी और पीवी कृष्णा रेड्डी ने अप्रैल २०१९ से अक्टूबर २०२३ के बीच बीजेपी को ५८४ करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड्स दिए थे।
मुंबईकर हैं परेशान
एमएसआरटीसी का १०,००० करोड़ रुपए का यह अनुबंध ५,१५० इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति, संचालन और रख-रखाव के लिए है। निगम के बेड़े में १५,९४५ बसें हैं। अनुबंध के अनुसार नवंबर २०२३ में प्रोटोटाइप निरीक्षण के बाद हर महीने २१५ बसें आपूर्ति की जानी थी, लेकिन अब तक केवल २० बसें ही आपूर्ति की गई हैं। ओलेक्ट्रा ने आपूर्ति शृंंखला में रुकावटों, विशेष रूप से चीन से लिथियम-आयन बैटरी कोशिकाओं के आयात में समस्याओं को देरी का कारण बताया। कंपनी ने हैदराबाद के पास सीतारामपुर में एक स्वचालित उत्पादन संयंत्र की स्थापना की है, जो जल्द ही चालू हो जाएगा और उनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता को १०,००० बसें तक बढ़ा देगा।