नागेंद्र शुक्ला / मुंबई
दक्षिण मुंबई की जर्जर इमारतों को पूर्ण नहीं करने वाले बिल्डरों पर नकेल कसते हुए उन पर कार्रवाई कर अब म्हाडा ने कई परियोजनाओं को पूर्ण करने की जिम्मेदारी ली है। इमारतों का पुनर्विकास कई डेवलपर्स द्वारा कई वर्षों से रोक दिया गया है। ८ रुकी हुई परियोजनाओं को अपने अधीन लेने और पूरा करने के लिए सरकार की मंजूरी के अनुसार, म्हाडा के मुंबई बिल्डिंग रिपेयर एंड रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड ने ५ परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली है और इन परियोजनाओं पर कब्जा कर लिया है। इस परियोजना को पूरा करने के लिए जल्द ही निविदा प्रक्रिया शुरू की जाएगी। चालीस डेवलपर्स, जिनकी परियोजनाएं इस कार्रवाई के कारण रुक गई थीं, ने इमारत पुनर्विकास कार्य फिर से शुरू कर दिया है।
कई वर्षों से सैकड़ों परियोजनाएं रोक रखी है। इसके कारण निवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गृह निर्माण विभाग ने रुकी हुई परियोजनाओं को शुरू कराने के लिए २२ अगस्त २०२३ को सरकारी निर्णय जारी किया था। इस निर्णय के अनुसार, परियोजनाओं में देरी करने वाले डेवलपर्स को छह महीने के भीतर परियोजना का काम शुरू करना होगा। यदि डेवलपर छह महीने के भीतर परियोजना शुरू नहीं करता है, तो हाउसिंग सोसाइटी को परियोजना का काम शुरू करने का अवसर दिया जाता है। यदि संस्था भी परियोजना को शुरू करने में विफल रहती है, तो म्हाडा को परियोजना को अपने हाथ में लेने और इसे पूरा करने का अधिकार दिया गया है।
मुंबई बिल्डिंग मरम्मत और पुनर्निर्माण बोर्ड ने पुनर्विकास परियोजनाओं का कब्जा लेने के साथ अधिग्रहण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली है। इसमें दादर-पश्चिम में आर.पी.क. स्वामी समर्थ कृपा बिल्डिंग, लालबाग, तारानाथ निवास लालबाग, जसोदा कंपनी में पानवाला बिल्डिंग नंबर २ और ३ का निर्माण और पुनर्विकास है। म्हाडा ने परेल गांव में हाउसिंग सोसायटी माहिम और नानभाई चॉल की इमारतों को अपने कब्जे में लिया है। पूर्व डेवलपर्स को मुआवजा देने के संबंध में अधिकारियों के साथ बैठक होगी। म्हाडा के एक अधिकारी ने बताया कि इसके बाद इन इमारतों के पुनर्विकास के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी।