अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
म्हाडा अब उन एसआरए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की योजना बना रही है जो डेवलपर के कुप्रबंधन और अन्य कारणों से वर्षों से रुके हुए हैं। म्हाडा ने ऐसी २९ रुकी हुई परियोजनाओं का अध्ययन शुरू कर दिया है, ताकि निवासियों को समय पर घर मिल सके। हालांकि, इस कदम से जुड़ी कई समस्याएं और नकारात्मक पहलू भी सामने आ सकते हैं।
मुंबई शहर और उपनगरों में कई पुरानी इमारतें और स्लम हैं। कई डेवलपर्स ने निवासियों को एकजुट कर एसआरए के तहत इनके पुनर्विकास की योजना बनाई थी, लेकिन वित्तीय संकट, कानूनी दिक्कतें और निवासियों के विरोध के कारण ये परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। इस स्थिति से संबंधित क्षेत्रवासियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
म्हाडा की संभावित परेशानियां
म्हाडा ने २९ एसआरए परियोजनाओं को पूरा करने का निर्णय लिया है, लेकिन इसे लेकर कई कठिनाइयां भी हैं। म्हाडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एसआरए परियोजनाओं का अध्ययन विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, जिसमें परियोजनाओं को डेवलपर से लेने में कानूनी कठिनाइयां और वित्तीय बोझ शामिल हैं। केवल वित्तीय और कानूनी रूप से मजबूत परियोजनाएं ही शुरू की जाएंगी, जिससे कई प्रोजेक्ट्स का भविष्य अनिश्चित है।
किस कीमत पर मिलेंगे मकान?
यदि रुकी हुई एसआरए परियोजनाओं को म्हाडा द्वारा अपने अधीन कर लिया जाता है और पूरा किया जाता है, तो संबंधित एसआरए योजनाओं के निवासियों को घर मिल सकेंगे। साथ ही म्हाडा में बिक्री योग्य फ्लैट और व्यावसायिक भूखंड भी उपलब्ध होंगे। लेकिन अधिक घरों को लॉटरी के जरिए बेचा जाना भी संभावित भ्रष्टाचार और भेदभाव का मुद्दा बन सकता है।
मिलेगी राहत?
म्हाडा की इस पहल से शहरवासियों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन यह देखना बाकी है कि कानूनी, वित्तीय और अन्य बाधाओं को पार करते हुए म्हाडा कितने प्रभावी तरीके से इन परियोजनाओं को पूरा कर पाती है। निवासियों को राहत मिलने की संभावना के बावजूद, इस प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियां और उनसे जुड़ी परेशानियां भी महत्वपूर्ण हैं।