मुख्यपृष्ठसमाचारमंत्री नहीं ले रहे फैसला... दवा दुकानदारों को हो रही परेशानी

मंत्री नहीं ले रहे फैसला… दवा दुकानदारों को हो रही परेशानी

सामना संवाददाता / मुंबई

दवा दुकानों के लाइसेंस को निलंबित करने के बाद उसे रद्द करने का अधिकार केवल मंत्री को है, जबकि मंत्री ही इसे लेकर तुरंत पैâसला नहीं ले रहे हैं। दूसरी तरफ इस समस्या को लेकर हाई कोर्ट की फटकार के बाद विकल्प के तौर पर एफडीए ने ड्रग लाइसेंस को निलंबित करने के बजाय दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा है। निलंबन पर अपील को लेकर पैâसला लेने में विलंब करनेवाली ‘घाती’ सरकार की तरफ से एफडीए के नए प्रस्ताव पर उदासीनता बरती जा रही है। इसका खामियाजा राज्य में दवा दुकानदारों को बेवजह ही भुगतना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में १,००,४१५ दवा की दुकानें और ३१,१८० इसके थोक विक्रेता हैं। औषधि व प्रसाधन सामग्री विनियम, १९४५ के अनुसार, लाइसेंस से जुड़ी शर्तों को पूरा न करने पर लाइसेंस को सीधे निलंबित या रद्द करने का प्रावधान है। इस संबंध में औषधि निरीक्षक द्वारा निरीक्षण के बाद पाई गई त्रुटियों के आधार पर लाइसेंस धारक को शुरुआत में कारण बताओ नोटिस दिया जाता है। नोटिस का जवाब मिलने के बाद इस संबंध में लाइसेंस या तो रद्द अथवा निलंबित किया जाता है। इस फैसले के खिलाफ केवल सरकार यानी संबंधित विभाग के मंत्री के पास अपील की जा सकती है। हालांकि, बीते कई महीनों से इन अपीलों पर सुनवाई ही नहीं हुई है। इससे दवा दुकानदारों में भारी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन में आयुक्त और संयुक्त आयुक्त होते हैं। इन अधिकारियों से यह अपील की जा सकती थी। साथ ही मंत्री के अधिकारों को विकेंद्रीकृत किया जा सकता था, लेकिन वैसा न करने के पीछे वित्तीय कारण होने की बात कही जा रही है।

अन्य समाचार