अमर झा / भायंदर
मीरा-भायंदर महानगरपालिका का अजब गजब कामकाज चल रहा है। मनपा में हजारों की संख्या में कर्मचारियों का पद रिक्त पड़ा हुआ है ।आधे अधूरे संख्याबल से मनपा अपना काम चला रही, जिसके कारण विकास कार्यो पर इसका सीधा असर दिख रहा है।जबकि विगत कई वर्षों से अनेक महत्वपूर्ण वरिष्ठ पदों पर कनिष्ठ अधिकारियों को बतौर प्रभारी जिम्मा सौंप कर वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति को जानबूझकर प्रलंबित रखे जाने के आरोप भी लगते रहे है।
ज्ञात हो कि मीरा-भायंदर मनपा में वर्ग 1 से वर्ग 4 तक की श्रेणियों में 2,570 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से अबतक केवल 1,234 पद ही भरे हुए हैं, जबकि 1,336 पद रिक्त हैं। प्रमुख रिक्तियों में वर्ग 1 में अतिरिक्त आयुक्त, उप आयुक्त, वर्ग 2 में सहायक आयुक्त, अग्निशमन केंद्र अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, वर्ग 3 में जूनियर इंजीनियर, क्लर्क, ड्राइवर आदि जैसे अनेक पद रिक्त पडे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, मनपा के मंजूर आकृतिबंध के अनुसार वर्ग 1 के 66 में से 30 पद रिक्त पड़े है, तो वही वर्ग 2 के 78 में से 45, वर्ग 3 के 879 में से 500 और वर्ग 4 के 1547 में से 750 पद रिक्त पडे हैं। हालांकि, मनपा ने इस कमी को अस्थाई रूप से दूर करने के लिए विभिन्न विभागों में संविदा स्वरूप को अपनाया है।
दूसरी तरफ ACB द्वारा रंगे हाथों पकड़े गए अधिकारियों को महत्वपूर्ण विभाग का जिम्मेदारी देने का मामला भी चर्चा में बना हुआ है। मनपा में अधिकारी-कर्मचारियों की कमी के कारण ही शायद एसीबी द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए कई अधिकारीयों को महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिनमें मनपा के अस्थापना विभाग और टैक्स विभाग भी शामिल है।
इसके अलावा मनपा में कई ऐसे कर्मचारी-अधिकारी है, जो पुनः उन ही विभागों में कार्यरत हैं, जिन विभागों में उन्हें एसीबी द्वारा रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ा था।