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सृष्टि का करिश्मा

प्रकृति के निखरते रूप और नजाकत ने हर लिया सबका मन
इसके अद्भुत और आकर्षित आलम ने संजोया सबका जीवन
सृष्टि की ये जो ओजस्वी देन है सारा जगत इसमें समाया
गुनगुनाता भंवरा गुलशन में गुल खिलाएं
शर्मीली कलियां सिमटते मंद-मंद मुस्काए
तरुवर की छाओं में पंछियों का है बसेरा
नीले अम्बर से इनका नाता है जोड़ा
जीवन की उड़ान भी तुम ऐसे भरो
उड़ते परिंदे से तुम रिश्ता जोड़ो
सतरंगी इंदरधनुष का दृश्य है निराला
सब के जीवन में रंग भर है लाया
बड़ी अनोखी है इसकी पहेली
धूप-वर्षा है इसकी संगी-सहेली
चांद-सितारों से जगमगा आस्मां
इसकी आगोश में खो गया सारा जहां
इसकी रोशन छाया ने जीवन है सुखमय बनाया
इसकी ठंडी हवा के झूलों में है झुलाया
प्रातःकाल सूरज ने अंगड़ाई ली यह फरमाते हुए
धरती को छत्तर-छाया दी किरणें फैलाते हुए
सांझ को सूर्य लालिमा बिखेरता जाये
करवट बदलते अपनी दास्तां सुनाए
अगले दिन चढ़ने का अफसाना बनाए।
-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा

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