पाई-पाई जोड़ता, पिता यहां दिन-रात।
देता है औलाद को, खुशियों की सौगात॥
मां बच्चों की पीर को, समझे अपनी पीर।
सिर्फ इसी के पास है, ऐसी ये तासीर॥
भाई से छोटे सभी, सोना-मोती-सीप।
दुनिया जब मुंह मोड़ती, होता यही समीपस्थ॥
बहना मूरत प्यार की, मांगे ये वरदान।
भाई को यश-बल मिले, लोग करें गुणगान॥
पत्नी से मिलता सदा, फूलों-सा मकरंद।
तन-मन की पीड़ा हरे, रचे प्यार के छंद॥
सच्चा सुख संतान का, कौन सका है तोल।
नटखट-सी किलकारियां, लगती हैं अनमोल॥
जीजा-साली में रही, बरसों से तकरार।
रहती भरी मिठास से, साली की मनुहार॥
मन को लगती राजसी, साले से ससुराल।
हाल-चाल सब पूछते, रखते हरदम ख़्याल॥
सास-ससुर के रूप में, मिलते हैं मां-बाप।
पाकर इनको धन्य है, जीवन अपने आप॥
जीवन में इक मित्र का, होता नहीं विकल्प।
मंजिल पाने के लिए, देता जो संकल्प॥
-डॉ.सत्यवान सौरभ