मुख्यपृष्ठनए समाचारएमएमआरडीए की अनदेखी : ३ साल लेट हुआ कालीना-बीकेसी प्रोजेक्ट

एमएमआरडीए की अनदेखी : ३ साल लेट हुआ कालीना-बीकेसी प्रोजेक्ट

-जनता रही बेहाल
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई महानगर में ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने वाला कालीना-बीकेसी कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट आखिरकार तीन साल की देरी के बाद फिर से शुरू होने जा रहा है। अब सवाल उठता है कि आखिर यह देरी क्यों हुई? इसका सीधा जवाब है, एमएमआरडीए की लापरवाही और असंवेदनशील रवैया। एक रिपोर्ट की मानें तो २०१९ में शुरू हुए इस सड़क प्रोजेक्ट का ९० फीसदी काम पूरा हो चुका था, लेकिन महज १७ झोपड़ियों के चलते काम ठप पड़ गया। ये झोपड़ियां, जिन्हें वॉचमैन चॉल कहा जाता है, पिछले १०० सालों से कालीना इलाके में मौजूद थीं। प्राधिकरण के पास यदि शुरू से ही इन परिवारों के पुनर्वास की ठोस योजना होती तो यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो चुका होता।
निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार एमएमआरडीए से वैकल्पिक स्थान की मांग की, लेकिन किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया गया। आखिरकार, उन्हें जबरन विद्याविहार की एक बहुमंजिला इमारत में शिफ्ट कर दिया गया। वे पहले एक हरियाली वाले इलाके में रहते थे, लेकिन अब उन्हें एक कंक्रीट के जंगल में डाल दिया गया है। एमएमआरडीए ने न तो समय पर पुनर्वास की योजना बनाई, न ही निवासियों की समस्याओं को गंभीरता से लिया। नतीजतन, शहर को तीन साल तक एक अहम सड़क से वंचित रहना पड़ा।
अब जब सभी झोपड़ियां हटा दी गई हैं, तो प्राधिकरण सड़क चौड़ीकरण का कार्य शुरू करेगा। यह नया मार्ग कालीना, वाकोला और बीकेसी के लाखों यात्रियों के लिए राहत लेकर आएगा और यात्रा समय में १५-२० मिनट की कटौती होगी।

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