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मोदीभक्त झूठ क्यों बोलते हैं?

संजय राऊत

प्रधानमंत्री मोदी पर झूठ बोलने का नशा चढ़ा है। मोदी झूठ बोलते हैं और अंधभक्त उनके झूठ पर तालियां बजाते हैं। यूक्रेन-रूस का युद्ध मोदी के कारण रुका, ऐसा अंधभक्त कहते थे। दो वर्ष बाद भी यह युद्ध शुरू ही है। गुजरात के तट पर रोज करोड़ों के ड्रग्स उतारे जाते हैं। क्या यह उसी का नशा है?

दुनिया में कहीं न कहीं युद्ध शुरू ही है। रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए दो साल हो गए। युद्ध खत्म नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच मध्यस्थता करके युद्ध रोकने की पुड़िया हिंदुस्थान के मोदीभक्तों ने छोड़ी। युद्ध जब चरम पर था, तब यूक्रेन के राष्ट्रपति ने मोदी को फोन करके युद्ध रोकने के लिए पुतिन को गुहार लगाने की हाथ जोड़कर विनती की और तदनुसार मोदी ने पुतिन को युद्ध रोकने के लिए कहा, ऐसी फेंकूगीरी इस काल में हुई। हालांकि, प्रत्यक्ष में पुतिन और भी निरंकुश हो गए। युद्ध शुरू ही रहा। यूक्रेन के ५०,००० सैनिक युद्ध में मारे गए। मोदी द्वारा रोके गए युद्ध का यह नतीजा है। दुनिया में किसी भी युद्ध को रोक पाना मोदी के हाथ में नहीं है। मोदी के शौर्य का उनके भक्त ढोल पीटते हैं। यह सब झूठ है। प्रथम विश्वयुद्ध को युद्ध खत्म करनेवाला युद्ध कहा गया, वास्तव में वैसा नहीं हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध अंतिम युद्ध है, ऐसी गारंटी दी गई थी। वह भी सच नहीं साबित हुई। कई देशों में आंतरिक गृहयुद्ध ने उग्र रूप धारण कर लिया है, जिसमें अब तक दो करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें गुजरात और सिख दंगों का भी समावेश है। हिंदुस्थान स्वयं आंतरिक गृहयुद्ध के मुहाने पर खड़ा है।
हिमाचल का खेल
हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा का चुनाव संपन्न हुआ। वहां कांग्रेस की सत्ता है। ४० का बहुमत है। भारतीय जनता पार्टी के पास सिर्फ २५ विधायक होने के बावजूद उन्होंने राज्यसभा के लिए प्रत्याशी खड़ा किया। इसका संदेश साफ था। हम कांग्रेस के विधायक खरीदेंगे अथवा भगाएंगे, लेकिन राज्यसभा में जीतकर दिखाएंगे। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी उम्मीदवार थे। उनकी जीत सहज थी। भाजपा के पास जीतने के लिए संख्या बल नहीं था, लेकिन कांग्रेस के छह उम्मीदवार पुलिस बल का इस्तेमाल करके उठा लिए गए और बंधक बनाए रखा, जिससे सिंघवी की पराजय हुई। चंडीगढ़ के महापौर पद के चुनाव में वोटों पर डाका डालकर भाजपा के प्रत्याशी को जिताने के प्रयास को सुप्रीम कोर्ट ने नाकाम कर दिया। फिर भी भाजपा लोकतंत्र पर प्रवचन झाड़ती है, ये आश्चर्यजनक है। मोदी और उनके लोग जहां जाते हैं, वहां झूठ बोलते हैं। लद्दाख, कश्मीर, महाराष्ट्र के संदर्भ में उनके झूठ कई बार बेनकाब हुए। देश में भ्रम का माहौल निर्माण करके उसी भ्रम में चुनाव ल़ड़ा जाए, यही तर्क मोदी का है। मोदी के कार्यकाल में देश की संसदीय गरिमा का ह्रास होने लगा है। मोदी का दस साल से शासन है। इस कार्यकाल में राजनीति में दिखावे, ढकोसला और बचकानेपन की वृद्धि हुई है। मोदी के कार्यकाल में संसद और सांसदों का महत्व नहीं रह गया है। ऐसे में कल को मोदी का ही राज आ गया तो संसद में ताला लगाकर कभी भी चुनाव न हो, इसका इंतजाम किया जाएगा। जर्मनी में हिटलर के सत्ता में आने से पहले वैमर गणराज्य था, लेकिन इसे लागू करनेवाली पार्टी कमजोर थी। उन्होंने अपने व्यवहार से लोगों में संसदीय लोकतंत्र के प्रति घृणा निर्माण की और हिटलर का रास्ता आसान किया। देश में पहले ही हिटलर का उदय हो चुका है और अंधभक्तों के कारण हिटलर दिनों-दिन अधिक बेताल, बेलगाम होते हुए दिख रहे हैं।
चार सौ पार!
प्रधानमंत्री मोदी चार दिन पहले यवतमाल और वाशिम में आए। उन्होंने एक सभा में कहा, ‘इस बार भाजपा चार सौ पार सीटें जीतेगी।’ मोदी ने यूपीए कार्यकाल में कृषि मंत्री रहे शरद पवार की भी आलोचना की। किसानों के प्रति तब के कृषिमंत्री ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया। एक समय यही मोदी कृषिमंत्री के तौर पर शरद पवार का गुणगान करते थे और कृषि क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दूसरे क्रमांक का नागरिक पुरस्कार ‘पद्म विभूषण’ देकर पवार को सम्मानित किया गया। उन्हीं पवार की मोदी अब महाराष्ट्र में आकर आलोचना करते हैं। जिस यवतमाल में मोदी की सभा हुई, उसी क्षेत्र में छह महीनों में ४०० से अधिक किसानों ने आत्महत्या की। बीते ढाई वर्षों में विदर्भ में ही दो हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या की। उस पर मोदी नहीं बोलते हैं और ‘यूपीए’ काल में कृषिमंत्री के कामकाज पर बोलते हैं, यह पाखंड है।
गुजरात में नशा
मोदी-शाह के गुजरात में मुंबई-महाराष्ट्र का उद्योग ले जाया जा रहा है। उसी गुजरात के बंदरगाह पर दुनियाभर का ‘ड्रग्स’ धड़ल्ले से उतर रहा है। विगत पांच सालों में गुजरात के पोरबंदर-मुंद्रा बंदरगाह पर भारी मात्रा में ड्रग्स जप्त किए गए। चार दिन पहले पोरबंदर के तट से ३,५०० किलो ड्रग्स जप्त किए। २०२० से २३ के बीच गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से ५०,००० करोड़ के ड्रग्ज जप्त किए गए। गुजरात में लगातार करोड़ों के मादक पदार्थ उतर रहे हैं और वहां से देशभर में वितरित हो रहे हैं। ईरान, पाकिस्तान और अमेरिका से ये ड्रग्स देश में आता है और सेफ लैंडिंग के लिए इस्ा देश गुजरात की भूमि को चुनते हैं। गुजरात में आज भाजपा की सरकार है। देश के गृहमंत्री, प्रधानमंत्री गुजरात के हैं। फिर भी गुजरात ‘ड्रग्स’ का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बन गया। गुजरात में अन्य किसी का राज्य होता तो भारतीय जनता पार्टी उस राज्य की सरकार को अब तक देशद्रोही ठहराकर फांसी पर लटकाने की मांग कर देती। गुजरात से ड्रग्स बड़ीr तादाद में महाराष्ट्र में आ रहा है। मुंबई, नासिक, पुणे, नागपुर जैसे शहरों की युवा पीढ़ी ड्रग्स के जाल में फंस चुकी है। गुजरात में ड्रग्स पकड़ाया, यह नाटक और दिखावा है। कार्रवाई का नाटक है। ५० करोड़ रुपए का ड्रग्स पकड़ना और ५०,००० करोड़ रुपए का ड्रग्स देश में भेज देना। उसी गुजरात के महान प्रधानमंत्री महाराष्ट्र में आकर चार सौ सीटें जीतने की बात करते हैं। राजनीति, सत्ता, पैसा और केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने में मोदी उलझे हुए हैं। वे झूठ बोलते हैं। वे ड्रग्स व भ्रष्टाचार की तरफ आंखें मूंद लेते हैं और किसानों के नाम पर नकली आंसू बहाते हैं, जिस पर तालियां बजाने के लिए अंधभक्त हैं ही। यूक्रेन का युद्ध दो साल के बाद भी चल रहा है। ड्रग्स के खिलाफ युद्ध शुरू करने के लिए मोदी तैयार नहीं हैं। इन ड्रग्स वालों ने पी. एम. केयर फंड में पैसे दिए हैं कि भाजपा की तिजोरी में इलेक्टोरल बॉण्ड्स डाले हैं?

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