-यूपीए के पूरे १० वर्षों में मात्र १०२ मामले हुए दर्ज
-एनडीए के ५ वर्षों में दर्ज किए गए ९११ मामले
-दोषसिद्धि दर रही सिर्फ ४.६ प्रतिशत
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कल दावा किया कि उनके प्रश्न के संसदीय उत्तर से प्रवर्तन निदेशालय के दुरुपयोग और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही जासूसी का पता चला है। ईडी और पीएमएलए मामलों का दुरुपयोग और बड़े पैमाने पर की जा रही जासूसी उजागर हुई है।
उन्होंने कहा कि उनके प्रश्न के संसदीय उत्तर से तीन कठोर तथ्य सामने आए हैं। पिछले ५ वर्षों में ईडी की दोषसिद्धि दर पांच प्रतिशत से अधिक नहीं हुई है। एनडीए सरकार के तहत पिछले ५ वर्षों में ९११ मामले दर्ज किए गए, जबकि यूपीए सरकार के पूरे १० वर्षों में केवल १०२ मामले दर्ज किए गए। यह ईडी के दुरुपयोग को दर्शाता है। इस बीच, विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच गतिरोध के बीच राज्यसभा की बैठक को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया। इस बीच लोकसभा ने रेलवे (संशोधन) विधेयक पारित किया। सदन ने आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, २०२४ पर भी चर्चा शुरू की, लेकिन एआईटीसी सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा कोविड-१९ महामारी पर केंद्र सरकार की अपर्याप्त प्रतिक्रिया का आरोप लगाने के बाद कार्यवाही जल्दी स्थगित कर दी गई। कांग्रेस ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे द्वारा विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों पर पार्टी की शिकायतों की जांच करने का आग्रह किया है। पार्टी ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा अपना निर्णय घोषित किए जाने के बाद वह विधायी कार्य में भाग लेने के लिए इच्छुक है।
धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर रार
सदन के सभापति और उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप के कारण कार्यवाही दोपहर से पहले ही बिना कोई कामकाज किए स्थगित कर दी गई। इसके तुरंत बाद, विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसके कारण सभापति ने कार्यवाही दोपहर १२ बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर १२ बजे सदन के फिर से शुरू होने के बाद, सदन में विभिन्न मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
उन्होंने कहा कि पीएमएलए के तहत दर्ज ९११ मामलों में से केवल ४२ (४.६ प्रतिशत) में ही दोषसिद्धि हुई है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि ९११ मामलों में से केवल २५७ या २८ प्रतिशत मामले ही सुनवाई के चरण तक पहुंच पाए, जबकि ६५४ या ७१.७ प्रतिशत मामले ५ साल तक लंबित रहे, जो खुलेआम षड्यंत्र के अलावा कुछ नहीं साबित करता।