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मोदी सरकार का फिर एक बार यू-टर्न … अब ६० दिनों का होगा रेल का अग्रिम आरक्षण

अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
भारतीय रेलवे के टिकट बुकिंग नियमों में लगातार हो रहे बदलावों से यात्री वर्ग काफी नाराज है। हाल ही में रेलवे ने टिकट बुकिंग की समयावधि को लेकर एक नया नियम लागू किया है। रेलवे के टिकट बुकिंग नियमों में बदलाव किया गया है। अब रेलवे की टिकट सिर्फ ६० दिन (२ महीने) पहले हो सकेगी, जो की पहले १२० दिन थी। यह नियम १ नवंबर से लागू हो जाएगा। हालांकि ३१ अक्टूबर तक होने वाली बुकिंग पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिसे लेकर यात्रियों ने अपना विरोध दर्ज कराया है। चार महीने पहले से बुक हो रहे ३० फीसदी टिकट वैंâसिल हो जाने के बावजूद, यात्रियों का मानना है कि वैंâसिलेशन के आधार पर नियमों में बदलाव करना अनुचित है।
समझ से परे है रेलवे का उद्देश्य
यात्रियों का कहना है कि ०१ मई २०१३ से ३१ मार्च २०१५ तक रेलवे में केवल ६० दिन पहले बुकिंग शुरू होती थी, जिसे बाद में १२० दिन कर दिया गया। यह बदलाव ०१ अप्रैल २०१५ से लागू हुआ, जो कि वर्तमान में ३१ अक्टूबर २०२४ तक प्रभावी है। यात्रियों का आरोप है कि रेलवे हर कुछ वर्षों में नियमों में बदलाव कर रही है, जिसका उद्देश्य समझ से परे है। कुछ यात्रियों का कहना है कि अगर टिकट वैंâसिलेशन की दर को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए जा रहे हैं, तो यह सही नीति नहीं है। हर किसी को यात्रा योजना समय से पहले बनानी पड़ती है, और १२० दिन पहले बुकिंग शुरू होना का विंडो यात्रियों के लिए सुविधाजनक है। यात्रियों ने मांग की है कि रेलवे बिना किसी ठोस कारण के नियमों में बदलाव न करे।
यात्रियों में फैल रहा असंतोष
रेलवे का तर्क है कि बड़ी संख्या में टिकट कैंसिलेशन से सीटों की बर्बादी होती है और इससे यात्रा की योजना पर असर पड़ता है। लेकिन यात्रियों का मानना है कि इस समस्या को हल करने के अन्य विकल्प हो सकते हैं, जैसे कि वैंâसिलेशन फीस बढ़ाना या टिकट ट्रांसफर पॉलिसी को और बेहतर बनाना। रेलवे द्वारा किए जा रहे इन बदलावों से यात्रियों के बीच असंतोष पैâलता जा रहा है और उन्हें उम्मीद है कि रेलवे उनके सुझावों को सुनकर कोई ठोस कदम उठाएगा।

जब रेलवे में बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर या किसी बड़े
प्रॉजेक्ट के लिए लंबा ब्लॉक लिया जाता है, जो कि अचानक प्लान किया हुआ होता है। उसकी वजह से जो यात्रियों को वैंâसिलेशन की अचानक दिक्कत झेलनी पड़ती है वह इससे कम हो जाएगी।
-विनीत अभिषेक, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, परे

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