सामना संवाददाता / नई दिल्ली
अभी हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस का दौरा कर रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को रोकने की अपील की थी, जिसके बाद दिल्ली मैतेई समन्वय समिति (डीएमसीसी) ने मोदी के इस वक्तव्य पर अपना दर्द बयां किया है। डीएमसीसी ने कहा कि पीएम मोदी के दिन में यूक्रेन है, मणिपुर नहीं। उनका दिल यूक्रेन युद्ध में मारे गए लोगों के लिए क्यों दुखता है, मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष के कारण मारे गए लोगों के लिए क्यों नहीं दुखता? डीएमसीसी ने आगे कहा है कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा करने में रुचि नहीं दिखाई है, जो दिल्ली से २,४११ किलोमीटर दूर है और हवाई मार्ग से मात्र २ घंटे ५० मिनट की दूरी पर है, लेकिन दिल्ली से उन्हें मणिपुर का दर्द नहीं दिखाई पड़ता है।
घरेलू संकटों की उपेक्षा
रिपोर्ट के मुताबिक, ११ जुलाई को जारी एक बयान में डीएमसीसी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों की सराहना की गई है, लेकिन मणिपुर में गंभीर घरेलू संकट के प्रति उनकी ‘स्पष्ट उपेक्षा’ ने नागरिकों और राजनीतिक पर्यवेक्षकों के बीच महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा कर दी हैं। बयान में आगे कहा गया है कि ‘रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में जब मासूम बच्चे मारे जाते हैं तो मोदी का दिल दुखता है, लेकिन मणिपुर में बच्चों सहित सैकड़ों मासूम लोगों की जान जाने पर उनका दिल नहीं पसीजता। उन्होंने उनके अपने नागरिकों की अनदेखी की है।
७० दिन बाद मोदी ने तोड़ी थी चुप्पी
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी को पिछले साल राज्य में हिंसा शुरू होने के ७० दिन बाद २० जुलाई को अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए तब मजबूर होना पड़ा था, जब दो कुकी महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाने का दर्दनाक वीडियो ऑनलाइन सामने आया था। राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पनपे आक्रोश के बाद मोदी बोलने के लिए मजबूर हुए थे। गौरतलब है कि पिछले साल ३ मई को शुरू हुई हिंसा के बाद से २०० से अधिक लोग मारे गए हैं और ६०,००० से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।