सामना संवाददाता / मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंबई दौरे के दौरान कोलाबा कॉजवे पर एक अजीब सा मेला लगा हुआ था। मुंबई मनपा ने ठेले वालों को हटाया, लेकिन जैसे ही पीएम की कार निकली वैसे ही ठेले फिर से वापस आ गए। इस नाटकीय घटनाक्रम ने स्थानीय लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वाकई मुंबई मनपा ठेले हटाने के लिए गंभीर है या सिर्फ प्रधानमंत्री के दौरे के लिए `सजावट’ कर रही है?
कोलाबा के एक निवासी ने बताया, `मुंबई मनपा हर बार केंद्रीय मंत्री के दौरे पर ठेले हटाने का नाटक करती है, लेकिन बाकी वक्त ये लोग फुटपाथों पर दुकानें जमाए रखते हैं!’ दरअसल, कोलाबा कॉजवे उन २० स्थानों में शामिल है, जहां मुंबई मनपा ने ठेले हटाने की योजना बनाई है, लेकिन ठेले वालों के खिलाफ कार्रवाई दिखावे तक ही सीमित रहती है।
उसने आगे कहा, `हम ठेले वालों के खिलाफ नहीं हैं। अगर उन्हें कहीं और शिफ्ट किया जाए तो ट्रैफिक कम होगा, शोर शांति में बदल जाएगा और हवा की गुणवत्ता भी बेहतर हो जाएगी।’ क्या सच में मुंबई मनपा ऐसा करेगी या फिर अगले पीएम दौरे तक इस मुद्दे पर `सन्नाटा’ रहेगा?
वहीं कोलाबा के रहने वाले एक निवासी ने आरोप लगाया है कि पुलिस और मुंबई मनपा के बीच सांठ गांठ के कारण ठेले वालों की संख्या अचानक बढ़ गई। `७६ से १८६ तक! क्या ये कोई जादू है?’ उसने चुटकी लेते हुए कहा, `और तो और मुंबई मनपा के अधिकारी किसी न किसी बहाने से सीनियर नेताओं के लिए `फॉर्मलिटी’ करने में व्यस्त रहते हैं।’
सिटी के अधिकारी ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ठेले प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान सुरक्षा कारणों से हटाए गए थे। यहां पर सिर्फ लाइसेंसधारी ठेले वालों को ही अनुमति दी जाती है, लेकिन इस कहने-सुनने से अब कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि ठेले वाले फिर से उसी जगह अपने कारोबार में मस्त हैं। अब सवाल यह है कि क्या कभी मुंबई मनपा ठेले हटाने के अपने संकल्प को सच्चे दिल से लागू करेगी या यह सिर्फ एक और सरकारी शो-ऑफ रहेगा?