रूसी राष्ट्रपति और चीनी राष्ट्रपति दोनों ही आगे
सर्वे में हुआ खुलासा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
अभी हाल ही में दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पहले भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ बोलता था तो उसकी बातों को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता था, जितना लिया जाना चाहिए, लेकिन आज भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ बोलता है तो दुनिया कान खोलकर सुनती है। अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की प्रतिष्ठा तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा केंद्र की मोदी सरकार के कई मंत्री कई मंचों से अनेकों बार इस बात पर जोर दे चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया है। इस बात को अक्सर भारतीय मीडिया द्वारा प्रचारित भी किया जाता है, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो विदेशों में पीएम मोदी और हिंदुस्थान की प्रतिष्ठा में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
१२ देशों के नागरिक हुए सर्वे में शामिल
सर्वे में शामिल १२ देशों के नागरिकों के एक समूह में से केवल ३७ प्रतिशत वयस्कों ने मोदी पर भरोसा होने की बात कही, जबकि ४० प्रतिशत की राय इसके विपरीत थी। वर्ष २००८ में अमेरिका में ६३ प्रतिशत लोगों का भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण था, जो २०२३ में घटकर ५१ प्रतिशत रह गया। पिछले साल के सर्वेक्षण के अनुसार, केवल २३ प्रतिशत अमेरिकियों का मानना था कि भारत का प्रभाव बढ़ा है, जबकि ६४ प्रतिशत का मानना था कि हाल के वर्षों में इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
नंबर एक पर जेलेंस्की
अमेरिकियों के बीच सबसे लोकप्रिय विदेशी राजनेता की पहचान करने के लिए हाल ही में एक सर्वे किया गया था। इस सर्वे में पीएम नरेंद्र मोदी २६वें स्थान पर थे। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दोनों मोदी से ऊपर थे। उस सर्वे के मुताबिक, ५१ फीसदी अमेरिकियों ने मोदी के बारे में सुना था, लेकिन उनमें से केवल २२ फीसदी लोगों का उनके बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण था। सर्वे में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की नंबर एक पर थे।
हिंदुस्थान को लेकर अच्छी राय नहीं
कई सर्वेक्षणों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसका नाम ‘द मोदी मिराज : इल्यूजंस एंड रियलिटी ऑफ इंडियाज ग्लोबल स्टैंडिंग एंड रेप्युटेशन’ है। रिपोर्ट को जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इरफान नूरुद्दीन और नीदरलैंड की ग्रोनिंगन यूनिवर्सिटी की डॉ. रितुंबरा मनुवी ने लिखा है। रिपोर्ट में २०२३ की प्यू ग्लोबल एटिट्यूड सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला दिया गया है, जिनसे पता चलता है कि २३ देशों के ४६ प्रतिशत नौजवानों ने हिंदुस्थान के बारे में ‘अच्छे’ विचार रखे, वहीं ३४ प्रतिशत नौजवानों की राय हिंदुस्थान को लेकर अच्छी नहीं थी।