सामना संवाददाता / बड़वानी
मध्य प्रदेश में ‘हर घर नल से जल’ पहुंचाने की योजना में बड़ा ‘झोल’ सामने आया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की नाक के नीचे हुए इस ‘झोल’ पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जिन गांवों के हर घर तक नल का जल पहुंचाने के दावे सरकारी कागजातों में किए गए हैं, वहां जमीनी हकीकत विपरीत है। विभिन्न जिलों की १५ ग्रामीण योजनाओं के दस्तावेजों की पड़ताल से स्पष्ट हुआ कि बजट का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाने के बावजूद इनमें से अधिकतर योजनाएं सालों से लंबित हैं। योजनाओं को लागू करने वाली कंपनी भी ब्लैकलिस्ट हो गई और इस तरह योजना का लाभ नागरिकों को नहीं मिल पा रहा है।
धार जिले की कुक्षी तहसील के ४ गांवों- चिखल्दा, गेहलगांव, कड़माल और पिपल्या की योजनाओं को टेंडर की शर्तों के अनुसार, ६ माह में पूर्ण हो जाना था, लेकिन वे पिछले ४ सालों से ‘प्रगतिरत’ दिखाई जा रही हैं। सरकारी पत्र व्यवहार की भाषा में प्रगतिरत का अर्थ किसी योजना का अधूरा होना होता है। इसी प्रकार, बड़वानी जिले के ठीकरी विकासखंड के जिन ११ गांवों के दस्तावेज हमने जुटाए हैं, उनमें से ८ गांवों- नंदगांव, बड़सलाय, मेनीमाता, मोहीपुरा, रणगांव, सेमल्दा, हतोला और कोयडिया की योजनाएं वर्ष २०२१ से लेकर अभी तक अपूर्ण हैं।
बड़वानी और धार जिलों में ‘जल जीवन मिशन’ संबंधी योजनाओं के निर्माण से जुड़ी गुजरात की ठेकेदार फर्म ‘मेसर्स जय खोडियार इंटरप्राइजेज’ को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ४ अप्रैल २०२३ को काली सूची में डाल दिया गया। फर्म को काली सूची में डालने का कारण टेंडर की शर्तों के विरुद्ध निर्माण कार्यों में फर्म की वर्षों की लेटलतीफी को बताया गया है। बड़वानी और धार जिलों में ‘जल जीवन मिशन’ संबंधी योजनाओं के निर्माण से जुड़ी गुजरात की ठेकेदार फर्म ‘मेसर्स जय खोडियार इंटरप्राइजेज’ को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ४ अप्रैल २०२३ को काली सूची में डाल दिया गया। फर्म को काली सूची में डालने का कारण टेंडर की शर्तों के विरुद्ध निर्माण कार्यों में फर्म की वर्षों की लेटलतीफी को बताया गया है। अत्यधिक योजना लागत की जानकारी नागरिकों से छिपाने के उद्देश्य से ही शायद योजना की जानकारी देने वाले बोर्ड कहीं नहीं लगाए गए हैं, जबकि टेंडर की शर्तों के तहत ऐसे बोर्ड लगाना जरूरी है।