मुख्यपृष्ठस्तंभकिस्सों का सबक : चरित्र सर्वश्रेष्ठ है

किस्सों का सबक : चरित्र सर्वश्रेष्ठ है

डॉ. दीनदयाल मुरारका

जीवन में ज्ञान से ज्यादा अच्छे चरित्र का होना महत्वपूर्ण होता है। नवलपुर राजा के दरबार में एक अत्यंत ज्ञानी महात्मा पधारे। उन्होंने राजा के अनुरोध पर प्रजा के भले के लिए सात दिनों तक प्रवचन दिया। उनका उपदेश सुनकर प्रजा बेहद खुश और संतुष्ट हुई।
राजा भी बहुत प्रभावित हुआ। उसने दक्षिणा स्वरूप महात्मा को ढेरों अशर्फियां दीं और फिर आने का निमंत्रण देकर आदरपूर्वक विदा किया। चलते समय राजा ने महात्मा से पूछा कि इस दुनिया में ब्रह्मज्ञानी उत्तम है या चरित्रवान? महात्मा ने चरित्रवान को उत्तम बताया। राजा इससे संतुष्ट नहीं हुआ। उसने कहा, महाराज ज्ञान ही न हो तो चरित्र लेकर क्या करेंगे? हमने आपको सम्मान आपके ज्ञान के कारण दिया है न कि चरित्र के कारण। महात्मा मुस्कुराए और उन्होंने कहा कि इसका उत्तर समय आने पर देंगे। कुछ दिन बाद राज दरबार में एक चोर को राजा के सामने पेश किया गया। उस चोर पर कुछ मुद्राएं चुराने का आरोप था।
जब चोर सामने आया तो राजा दंग रह गए। यह तो वही महात्मा थे, जिन्होंने उन्हें धर्म और जीवन का मर्म समझाया था। राजा को इस तरह आश्चर्यचकित देख महात्मा ने कहा- हे राजन, क्या आप मुझे मेरे ज्ञान के कारण दंड नहीं देंगे? अब आप बताइए ज्ञान श्रेष्ठ है या चरित्र? अगर कोई ज्ञानी अपराध करे तो क्या वह अपने ज्ञान के कारण क्षमा के योग्य नहीं है। राजा समझ गया कि महात्मा ने उसे समझाने के लिए यह सब किया। राजा महात्मा के चरणों में श्रद्धा से झुक गए और उन्हें तत्काल बेड़ियों से मुक्त किया।

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