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भारत में सर्वाधिक कुपोषित … संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट ने खोली मोदी सरकार की पोल

-१९.५ करोड़ लोग कुपोषण का शिकार
-७९ करोड़ लोग ‘स्वस्थ आहार’ से वंचित
-५३ फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मोदी सरकार के विकास के तमाम दावों के बीच विश्व में सबसे ज्यादा १९.५ करोड़ कुपोषित लोग भारत में हैं। ये जानकारी ‘स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड’ (एसओएफआई) की रिपोर्ट में सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और यूनिसेफ समेत चार अन्य यूएन संस्थाओं ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया है। इस रिपोर्ट में एफएओ ने कुपोषण का एक ऐसी स्थिति के रूप में वर्णन किया है, जिसमें किसी व्यक्ति के सामान्य और सक्रिय जीवन जीने के लिए जरूरी भोजन से मिलने वाली शक्ति उस व्यक्ति के नियमित खाने से पूरी नहीं हो पाती है। कुपोषण के प्रसार का प्रयोग भूख को मापने के लिए किया जाता है।
एसओएफआई रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आधे से अधिक भारतीय (५५.६ प्रतिशत) अभी भी ‘स्वस्थ आहार’ का खर्च उठाने में असमर्थ हैं, जो संख्या के लिहाज़ से ७९ करोड़ लोग हैं जबकि ५३ फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। ये अनुपात दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि ‘अल्पपोषित’ न होना और सामान्य दिन की नियमित गतिविधियों के लिए ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त भोजन करना एक बात है, जो अधिकांश भारतीय करने में सक्षम हैं, लेकिन गुणवत्तापूर्ण या ‘स्वस्थ आहार’ लेना अलग बात है, जिसमें आधे से ज्यादा भारतीय सक्षम नहीं हैं।
एफएओ के हिसाब से एक ‘स्वस्थ आहार’ वो है जिसमें चार प्रमुख पहलू शामिल हों- खाद्यान्नों के बीच विवधता, भोजन में पोषक तत्वों की पर्याप्तता, स्वास्थ्य खराब करने वाले भोजन को लेकर संयम और शरीर के हिसाब से ऊर्जा और मैक्रोन्यूट्रिएंट का संतुलित सेवन। भारत में स्वस्थ आहार लेने में असमर्थ लोगों का अनुपात २०२२ की तुलना में २०२३ में लगभग तीन प्रतिशत अंक बेहतर हुआ है, जबकि बीते पांच सालों में इसमें इसी दर से गिरावट देखी गई थी।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में जारी नीति आयोग की रिपोर्ट ‘सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकांक २०२३-२४’ में दावा किया गया था कि साल २०२३-२०२४ में ९९ फीसदी पात्र लाभार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, २०१३ के तहत कवर कर लिया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, २०१३ के तहत ही संचालित होता है। ये प्रति माह हर ‘अंत्योदय अन्न योजना परिवार’ को ३५ किलोग्राम खाद्यान्न और ‘प्राथमिकता वाले परिवारों’ को प्रति माह ५ किलोग्राम खाद्यान्न का अधिकार देता है। इसमें मोटे अनाज, गेहूं और चावल क्रमश: १ रुपए, २ रुपए और ३ रुपए प्रति किलो की रियायती कीमतों पर उपलब्ध कराए जाते हैं।

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