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मुंबई पस्त नागपुर मस्त! … सीएम के जिले में रु.४०० करोड़ के अस्पताल को मंजूरी

– मुंबई के मनपा अस्पतालों में एक बेड पर हैं दो मरीज
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई के सरकारी और मनपा अस्पताल बुनियादी सुविधाओं और मानव संसाधनों की भारी कमी की मार झेल रहे हैं। स्थिति को सुधारने में ‘ईडी’ २.० सरकार कोई खास रुचि नहीं दिखा रही है। मुंबई समेत अन्य जिलों में चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा को सुधारने की बजाय सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस केवल अपने गढ़ और प्रदेश की उप राजधानी नागपुर के अस्पतालों को मजबूती देने में जुटे हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके तहत चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग ने नागपुर के अस्पतालों के लिए ४०६.६ करोड़ रुपयों के कार्यों को मंजूरी दी है। इतना ही नहीं, वेलेंटाइन डे के दिन १२ शासनादेश जारी करा दिए गए। कुल मिलाकर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर मुंबई जहां पस्त दिखाई दे रही है, वहीं सीएम फडणवीस के आशीर्वाद से नागपुर मस्त होता जा रहा है।
बता दें कि मुंबई मनपा के केईएम, सायन, नायर, कूपर जैसे चार प्रमुख अस्पतालों के साथ ही १६ उपनगरीय, ३० प्रसूति, ५ विशेष अस्पताल, २,११२ स्वास्थ्य केंद्र, १९२ दवाखाना २५० हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे आपला दवाखाना, राज्य सरकार द्वारा संचालित जेजे, जीटी, सेंट जॉर्ज और कामा अस्पतालों में हजारों की संख्या में मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। मनपा के केईएम, सायन, नायर और राज्य सरकार के जेजे अस्पताल में मुंबई और महाराष्ट्र से ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से मरीज उपचार कराने आते हैं। इतनी ख्याति होने के बावजूद मुंबई में मनपा और सरकारी अस्पताल दुर्दशा की मार झेल रहे हैं। आलम यह है कि इन अस्पतालों में मरीजों की लंबी फेहरिस्त दिखाई देती है। इसके साथ ही मरीजों को दवाओं की किल्लत, जांच के लिए वेटिंग लिस्ट, डॉक्टरों और स्टाफ का मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार करने की शिकायतें अक्सर आती रहती हैं।
केईएम का ढूंढेंगे खामियां
विधायक अजय चौधरी ने कहा है कि अब हमने अस्पताल में खामियों का पता लगाना शुरू कर दिया है। उन कमियों को हम आगामी बजट सत्र में न केवल उठाएंगे, बल्कि इस मुद्दे पर सरकार का भी घेराव करेंगे। उन्होंने कहा कि हम आम मुंबईकरों का पैसा इस तरह पानी में नहीं बहाने देंगे। अस्पताल की डीन पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि इससे पहले भी कई महिला डीन यहां काम कर चुकी हैं, लेकिन मौजूदा डीन और पहले की महिला डीनों के काम करने के तरीकों में बहुत फर्क है।

दूर नहीं हुईं समस्याएं
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक अजय चौधरी विधान मंडल में इसे लेकर मुद्दा उठा चुके हैं। इस पर खुद विधानसभा अध्यक्ष ने केवल केईएम ही नहीं, बल्कि सभी मनपा अस्पतालों की यही स्थिति होने की बात कही थी। साथ ही सरकार को इसे गंभीरता से लेकर तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इस दौरान सरकार की तरफ से कहा गया था कि दो महीने बाद मनपा अस्पतालों में व्याप्त सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी, लेकिन आज तक इन अस्पतालों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।

नए हो जाएंगे नागपुर के अस्पताल
नागपुर के सरकारी अस्पतालों में ट्रामा केयर सेंटर, नया नर्सिंग निवास, ५०० बेड का नया अस्पताल, अधिकारी निवास निर्माण, डेंटल कॉलेज में संसाधन खरीद, लिफ्ट लगाना, छात्रावास नवीनीकरण, पुराने मार्ड छात्रावास का नवीनीकरण व अत्याधुनिकीकरण, ३३ केवी क्षमता का ट्रांसफॉर्मर व विद्युत पैनल, अति विशेष उपचार अस्पताल, सी-१ ब्लॉक के २,३,४ मंजिल, ए-२ ब्लॉक के तल व पहली मंजिल और सी-१ ब्लॉक के तल और पहले मंजिल का रेनिवेशन व रिफर्बिशमेंट का काम शामिल है।

 

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