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मुंबई बनी चिकनगुनिया का आशियाना! …तीन सालों में ४० गुना बढ़े मामले, मनपा रोग रोकने में हुई नाकाम

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा की अनदेखी के चलते मुंबई चिकनगुनिया का आशियाना बन गया है। आलम यह है कि तीन सालों में शहर में चिकनगुनिया के मामले ४० गुना बढ़े हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मुंबई में इस बीमारी के अब तक कुल ७३५ रोगी मिले हैं। दूसरी तरफ मनपा की इस नाकामी को लेकर चिकित्सा जानकारों का कहना है कि यदि जिस समय यह बीमारी पनप रही थी, उसी समय उचित तरीके से ध्यान दिया गया होता, तो आज यह नौबत नहीं आती।
मिली जानकारी के मुताबिक, मुंबई में तीन वर्षों में इस वर्ष चिकनगुनिया के सबसे अधिक मामले मिले हैं। इस वर्ष प्रतिदिन औसतन दो लोग इस रोग के शिकार हो रहे हैं। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष २०२२ में चिकनगुनिया के मात्र १८ मामले मिले थे। वर्ष २०२३ में यह संख्या बढ़कर २५० पर पहुंच गई। वहीं इस वर्ष जनवरी से लेकर २१ दिसंबर तक ७३५ लोगों में चिकनगुनिया की पुष्टि हुई है। आंकड़े दर्शाते हैं कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष के करीब २९५ फीसदी ज्यादा मामले मिले हैं। चिकित्सकों के मुताबिक मुंबई में इस वर्ष मच्छरों को पनपने के लिए साफ पानी मिलता रहा है। यहां तक कि घरों में भी मच्छरों के ब्रीडिंग स्पॉट मिलते हैं। इससे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के अधिक मामले देखे गए।
नागपुर में अधिक मामले
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक नागपुर और पुणे के बाद मुंबई में चिकनगुनिया के सबसे अधिक मामले पाए गए हैं। इस वर्ष दिसंबर तक नागपुर में सबसे अधिक १,०८८, पुणे में ७५१ और मुंबई में ७३५ मामले रिपोर्ट हुए हैं। चौथे स्थान पर अकोला है जहां ६३० मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह ३२३ मामलों के साथ कोल्हापुर पांचवें और २५९ मरीजों के साथ अमरावती छठें स्थान पर है।

वायरल रोग है चिकनगुनिया
चिकनगुनिया एक वायरल रोग है, जो मुख्यत: एडीज मच्छर द्वारा पैâलता है। ये मच्छर खासकर दिन के समय सक्रिय होते हैं और संक्रमित व्यक्ति के खून को चूसने के बाद अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। चिकनगुनिया वायरस के लक्षणों में बुखार, जोड़ों में तेज दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर रैशेज और थकावट शामिल हो सकते हैं। जेजे अस्पताल के प्रोफेसर डॉ. मधुकर गायकवाड ने कहा कि चिकनगुनिया के काफी मामले ओपीडी में आए हैं। कई मामलों में मरीजों को भर्ती भी करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से रिकवरी में भी आयु के अनुसार १० से दो महीनों तक का समय लग जाता है।

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