मुख्यपृष्ठटॉप समाचारमुंबई ध्वस्त, सरकार मस्त! ट्राफिक के टंटे में महानगर ...गृह मंत्री फडणवीस...

मुंबई ध्वस्त, सरकार मस्त! ट्राफिक के टंटे में महानगर …गृह मंत्री फडणवीस 24 x 7 चुनावी मोड में …सड़क परिवहन मंत्री गडकरी को सुध नहीं

सामना संवाददाता / मुंबई
सरकारी अकर्मण्यता की वजह से मुंबई की अधिकांश सड़कें ध्वस्त नजर आ रही हैं, पर ‘ईडी’ सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सरकार अपनी मस्ती में है। विधानसभा चुनाव जीतने के लिए वह तिकड़मों में व्यस्त है। गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस चुनावी मोड में हैं और रोजाना यहां-वहां बैठकें कर रहे हैं। दूसरी तरफ सड़क परिवहन मंत्री को मुंबई की खराब सड़कों की कोई सुध नहीं है। इसका परिणाम यह है कि गड्ढों में डूबी सड़कों के कारण महानगर में हर तरफ ट्रैफिक जाम ही जाम नजर आ रहा है। एक घंटे के सफर में ढाई गुना वक्त लग रहा है। इससे वाहन चालकों के साथ ही मुंबईकरों की नाराजगी काफी तीव्र हो चुकी है। ऐसे में ‘ईडी’ सरकार को इस विधानसभा चुनाव में जनता की नाराजगी झेलनी पड़ेगी, इसमें कोई शक नहीं है।

मुंबई में सड़क से यात्रा बनी सजा!
-घंटों के जाम से मुंबईकर त्रस्त

टोल फ्री होने के बावजूद दहिसर टोल नाका पर मुंबई और भायंदर की तरफ रोजाना २ किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लग रहा है। टोल माफी का फायदा उठाने के बजाय, लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं।

सामना संवाददाता / मुंबई
चुनावी फायदा लेने के लिए ‘ईडी’ सरकार ने मुंबई के पांचों टोल नाकों को फ्री करके क्षणिक वाहवाही तो बटोर ली, पर मुंबई की सड़कों पर वाहन चलाना किसी सजा से कम नहीं है। मुंबईकरों को शहर की सड़कों से यात्रा करते वक्त घंटों तक जाम में फंसना पड़ रहा है। आलम यह है कि एक घंटे का फसर पूरा होने में ढाई से तीन घंटे लग रहे हैं। टोल फ्री होने के बाद तो सफर आरामदायक और तेज होना चाहिए था पर हो उल्टा रहा है। टोल नाकों पर बेतहाशा जाम लगा हुआ है।
बता दें कि हाल ही में चुनावी माहौल में सरकार ने हल्की गाड़ियों के लिए मुंबई के पांचों एंट्री टोल फ्री कर दिए हैं, लेकिन इसका कोई खास असर जमीनी हकीकत पर नहीं दिख रहा है।

वेस्टर्न एक्सप्रेस पर तबाही का मंजर
टोल फ्री होने के बावजूद दहिसर टोल नाका पर मुंबई और भायंदर की तरफ रोजाना २ किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लग रहा है। टोल माफी का फायदा उठाने के बजाय, लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं। रोजाना लाखों लोग इस ट्रैफिक की मार झेल रहे हैं। इससे घंटों ह्यूमन आवर्स बर्बाद हो रहे हैं। आम जनता का कहना है कि टोल माफी के बाद एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स पर ट्रैफिक फ्लो स्मूथ होना चाहिए था, लेकिन हकीकत में स्थिति और बदतर हो गई है।

सरकारी नीति सिर्फ दिखावा
चुनाव से पहले लिया गया ये फैसला महज एक दिखावा लगता है। मुंबई जैसे बड़े महानगर में जहां समय की कीमत है, वहां सरकार की यह माफी सिर्फ एक चुनावी चाल साबित हो रही है। कोई भी ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान नहीं है, न ही एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स को व्यवस्थित किया गया है। नतीजा, जनता हर दिन इस अराजकता का सामना कर रही है।

वाशी टोल भी बदहाल
वाशी टोल का हाल भी बदहाल है। यहां भी लोगों को घंटों लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है। सरकार का ये फैसला किसी भी रूप में ट्रैफिक की समस्याओं को कम नहीं कर पाया है। ट्रैफिक जाम की समस्या जस की तस बनी हुई है और सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम रही है।

विकास कम, बयानबाजी ज्यादा
टोल माफी के बाद उम्मीद थी कि ट्रैफिक की स्थिति बेहतर होगी और एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स पर स्मूथ फ्लो होगा। लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। स्थिति बदतर होती जा रही है।
-कृष्णा सिंह (विरार)

हर मिनट कीमती है
सरकारी नीतियों की असफलता स्पष्ट दिखाई दे रही है। मुंबई जैसे महानगर में, जहां हर मिनट कीमती है, वहां ये ट्रैफिक जाम शहर की उत्पादकता पर बुरा असर डाल रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर क्षेत्र के नागरिकों ने भी सरकार की निष्क्रियता पर एक बड़ा सवाल उठाया है।
-महेशराज (भायंदर)

अन्य समाचार