सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हीटवेव से परेशान है, लेकिन ठोस और दीर्घकालिक समाधान की कमी के कारण हालात गंभीर होते जा रहे हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मुंबई जैसे शहर मुख्य रूप से आपातकालीन कदमों पर निर्भर हैं, जबकि तापमान वृद्धि को रोकने के लिए व्यापक नीतियों की आवश्यकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, मुंबई में गर्मी जल्दी शुरू हो रही है और लंबे समय तक बनी रह सकती है। जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के कारण तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक तापमान १.५ डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ता है तो मुंबई में अत्यधिक गर्म दिनों की संख्या में तेज वृद्धि होगी।
हीटवेव के प्रभाव को कम करने के लिए विशेषज्ञों ने कई सुझाव दिए हैं। शहर में हरित क्षेत्र को बढ़ाने, जलाशयों का विस्तार करने और गर्मी प्रतिरोधी निर्माण सामग्री का उपयोग करने की आवश्यकता बताई गई है। इसके अलावा शहरी योजना में बदलाव कर अधिक हवादार और पर्यावरण-अनुकूल ढांचे विकसित करने की भी सलाह दी गई है।
व्यापक नीति की जरूरत
मुंबई मनपा ने हाल ही में गर्मी से बचाव के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें पर्याप्त मात्रा में पानी पीने, हल्के कपड़े पहनने और सीधी धूप से बचने के उपाय शामिल हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि केवल अल्पकालिक उपायों से समस्या का समाधान नहीं होगा। अगर मुंबई को हीटवेव से बचाना है, तो व्यापक और दीर्घकालिक नीति अपनानी होगी।