मुख्यपृष्ठअपराधमुंबई माफियानामा : नौसैनिक ने की अदालत में हत्या

मुंबई माफियानामा : नौसैनिक ने की अदालत में हत्या

विवेक अग्रवाल
हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।

दाऊद ने अमीरजादा की अदालत में खुलेआम हत्या करवाई तो आलमजेब का खून खौल उठा। उसने भी दाऊद से बदला लेने का बीड़ा उठाया। वो पहले से दाऊद को ‘कम करने’ के चक्कर में लगा था। उसने तय किया कि जिस तरह भाई की हत्या हुई है, ठीक उसी तरह वह भी हत्यारे को मारेगा यानी कि अदालत में। सबके सामने। बिल्कुल पुलिस सुरक्षा में। उसी न्याय के मंदिर में।
अमीरजादा की हत्या करने वाला बड़ा राजन का सुपारी हत्यारा डेविड परदेसी था। अमीरजादा हत्याकांड की सुपारी बड़ा राजन ने ली थी इसलिए सबसे पहले आलम ने बड़ा राजन को मारने की योजना बनाई। बड़ा राजन एक मामले में पुलिस की हिरासत में था। उसे पेशी पर पुलिस अदालत लाती थी। यह आलम को पता था। मुंबई सेशंस कोर्ट में मुकदमा जारी था। आलमजेब ने बड़ा राजन को निपटाने के लिए हत्यारा दस्ता बनाया। उसने अब्दुल कुंजू और महेश ढोलकिया के जरिए एक सुपारी हत्यारा चुना। उसका नाम था चंद्रकांत सफालिगा। चंद्रकांत को भली प्रकार समझाया कि किसकी हत्या करनी है और वैâसे करनी है। अब शुरू हुई बड़ा राजन के गेम की साजिश। सबसे पहले अदालत के उस कमरे का मुआयना हुआ, जहां बड़ा राजन को पेशी के लिए लाया जाना था। यहां भारी सुरक्षा बंदोबस्त देखते हुए एक और योजना बनी। पेशी के लिए लाते वक्त बरामदे में सामने से आते आरोपी पर गोली चलाना। इसके लिए चारों तरफ के गलियारों और बरामदों की जानकारी हासिल की। वहां कितनी भीड़ रहती है। किस तरह वहां पहुंचना आसान होगा। गोलियां चला कर किस रास्ते से भागना ठीक होगा, सब देखा गया।
वह दिन आ गया, जब चंद्रकांत को काम करना था। उसने नौसैनिक की वर्दी पहनी और अदालत में खड़ा हो गया। जब राजन को अदालत में लाया गया तो गोलीबारी कर मौके पर ही मार गिराया। हत्या के बाद चंद्रकांत भागा, जरूर लेकिन पकड़ा गया।
अपराध जगत की ये मसल सब जानते हैं, वह यहां भी लागू होती है:
– अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो, एक न एक गलती जरूर करता है।

(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)

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