विवेक अग्रवाल
हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।
शमशुन्निशा गुलाम रसूल पटेल – मां – ११ मामले
आसिफ गुलाम रसूल पटेल – एनसीपी पार्षद, भाई – २१ मामले
अशरफ गुलाम रसूल पटेल उर्फ तात्या पटेल – भाई – ४३ मामले
अंजुम गुलाम रसूल पटेल – भाई – २१ मामले
बिलाल गुलाम रसूल पटेल – भाई – ४३ मामले
जुबेर गुलाम रसूल पटेल उर्फ जेबू – भाई – ३३ मामले
कामिल गुलाम रसूल पटेल – भाई – ०९ मामले
अस्मत गुलाम रसूल पटेल – भाई – १० मामले (१९९८ में हत्या)
गुलशन आरिफ तारी उर्फ गुलशन आपा – बहन – १८ मामले
हीना बिलाल पटेल – बहू – ०२ मामले
तबस्सुम अस्मत पटेल – बहू – ०४ मामले
एक परिवार के किसी खेलकूद के सिलसिले में मिले पदकों; या किसी एक परिवार को सेना में रहते मिले शौर्य पदकों; या एक ही परिवार के सदस्यों को शिक्षा के क्षेत्र में किए बेहतरीन काम के लिए मिले पदकों की सूची जैसी जो फेहरिस्त आपने ऊपर पढ़ी; वो असल में मुंबई के करीब एक उपनगर काशीमीरा इलाके के एक परिवार पर दर्ज आपराधिक मामलों की है।
यह जानकर क्या कहेंगे आप? इस परिवार के बारे में कुछ और जान लीजिए। मुंबई के स्याह सायों के संसार का प्रथम परिवार तो इसे ही कहेंगे। मुंबई माफिया में यदि एक परिवार को ‘पैâमिली नंबर-१’ का खिताब मिल सकता है तो वह ‘डी’ कंपनी सरगना दाऊद इब्राहिम परिवार नहीं होगा। ‘डी’ परिवार में कुछ ही भाईयों पर आपराधिक मामले हैं। लेकिन पटेल परिवार में मां से बहन तक, भाईयों से बहुओं तक कुल २२३ मामले दर्ज हैं। इन पर हफ्तावसूली, दंगे, मारपीट, हत्याएं, जमीनों पर अवैध कब्जे जैसे दर्जनों मुकदमे हैं। उन पर टाडा से मकोका तक तमाम कानूनों के तहत मामले दर्ज हुए हैं।
बिलाल के लिए काम करने वाले सुपारी हत्यारे और निशानची फिरोज बशीर ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि पटेल परिवार दाऊद से गहरे रिश्ते रखता है। मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने इसके आधार पर बिलाल को गिरफ्तार कर लिया। आरोप था कि उसने एक विरोधी को खत्म करने के लिए नाना कंपनी के सुपारी हत्यारे को काम दिया था।
पटेल कंपनी में पूरा परिवार शामिल है। इसमें ५ भाई और बहन शबनम आपा के साथ मां का नाम भी शामिल है। शबनम के खिलाफ तमाम मामले चल रहे हैं, लेकिन वह बेखौफ काशीमीरा, मीरा रोड और भायंदर इलाकों में घूमती है। शबनम आपा पर संपत्ति हड़पने के आरोप कम नहीं हैं। वो आज भी ठाट से कामकाज कर रही है। उसे किसी की भी परवाह नहीं है। पुलिस उसके सामने खुद को बेबस और लाचार पाती है। वह खुद को ‘लेडी डॉन’ कहलाने में बड़ा गर्व महसूस करती है।
पटेल कंपनी पर कुल २२३ मामले दर्ज हैं। वे कहते हैं कि उनके खिलाफ राजनीतिक और कारोबारी साजिश के तहत पुलिस का दुरुपयोग करके तमाम मामले विरोधियों ने दर्ज करवाए हैं। कुछ राजनीतिज्ञों के नाम भी पटेल परिवार उनके खिलाफ साजिश रचने वालों के रूप में लेता है।
इलाके के एक सुगढ़ और वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं-
‘पटेल परिवार के लिए बस इतना ही कहूंगा कि जो गोलियों से खेलते हैं, वे खुद गोलियों का शिकार बनते हैं।’
(राजा मयाल और विवेक अग्रवाल की टीवी रपट से)
(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)