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  मुंबई मनपा के पास नहीं है पॉल्यूशन का सॉल्यूशन! …मानव बल की है कमी

– चुनाव तक बनी रहेगी यही स्थिति
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
पिछले कई दिनों से मुंबई में प्रदूषण की वजह से हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है। आलम यह है कि मुंबईकर सांस के माध्यम से हवा नहीं, बल्कि जहर अपने अंदर शोषित कर रहे हैं। इसके बावजूद मनपा प्रशासन की ओर से किसी तरह के कोई प्रभावी उपाय नहीं किए जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकांश अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी चुनावी कार्यों में लगी हुई है, जिस कारण मानव बल की भारी कमी हो गई है। ऐसे में मनपा के सामने लाचारी इस कदर हावी हो गई है कि वह मुंबई के पॉल्यूशन का सॉल्यूशन नहीं निकाल पा रही है। दूसरी ओर कहा जा रहा है कि यह चुनाव तक यही स्थिति बनी रहेगी और मुंबईकरों के जेहन में जहर घुलता रहेगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले दो या तीन वर्षों से सर्दियां आते ही मुंबई की वायु गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है। दो साल पहले मुंबई की वायु गुणवत्ता दिल्ली से भी बदतर थी। उस समय मुंबई मनपा ने प्रदूषण से बचाव के उपायों के लिए कार्ययोजना तैयार की थी, लेकिन उस कार्य योजना के क्रियान्वयन तक अप्रैल माह बीत गया, फिर पिछले साल २०२३ में भी हवा का स्तर एक बार फिर खराब होने पर मनपा ने दिवाली से ही कार्य योजना पर अमल शुरू कर दिया था। इसके लिए विभाग कार्यालयों में टीमों का गठन किया गया था। पिछले साल प्रदूषण का मामला कोर्ट में गया था। कोर्ट की फटकार के बाद मनपा प्रशासन ने भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियमावली तैयार की थी। साथ ही इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए टीमों का गठन किया गया था। हालांकि, इस साल विधानसभा चुनाव के कारण प्रदूषण के उपाय अभी तक शुरू नहीं हुए हैं।
मुंबई की वायु गुणवत्ता खराब होने का मुख्य कारण धूल का उच्च प्रमाण है। यह धूल निर्माणकार्य के कारण उत्पन्न होती है। इसलिए मनपा प्रशासन ने निर्माण स्थलों पर विभिन्न उपायों के लिए नियम तैयार किए थे। उन्होंने सड़कों की धुलाई भी शुरू कर दी थी। दूसरी तरफ बताया गया है कि इस साल विधानसभा चुनाव की वजह से मुंबई मनपा के करीब सभी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी इसी कार्य में लगे हुए हैं। ऐसे में प्रदूषण को रोकने के लिए जरूरी मानव बल की कमी हो गई है। इसलिए चुनाव के बाद ही प्रदूषण रोकने के उपाय करने का मौका मिल सकेगा। परिणास्वरूप, मुंबईकरों को चुनाव तक प्रदूषित वातावरण का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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