मुख्यपृष्ठस्तंभमुंबई मिस्ट्री : सबसे निराले महाराष्ट्र के चटखारे

मुंबई मिस्ट्री : सबसे निराले महाराष्ट्र के चटखारे

विमल मिश्र मुंबई

महाराष्ट्र दिवस पर विशेष : सबसे निराले महाराष्ट्र के चटखारे
‘टेस्ट एटलस’ ने कुछ समय पहले अपने सर्वेक्षण में विश्व के ५० पारंप‌रिक वीगन फूड की श्रेणी में मिसल पाव को ११वां, वड़ा पाव को १३वां, मसाला वडा को २७वां और भेलपूरी को ३७वां स्थान दिया है। महाराष्ट्रीयन खान-पान अब तेजी से अपनी वैश्विक पहचान बनाने में लगा है।

मुंबई के सबसे पॉपुलर स्ट्रीट फूड क्या हैं? आर्टिफिशियल ‌इंटेलिजेस वाले चैट रोबो ण्प्Aऊउझ्ऊ के अनुसार ‘वड़ा पाव’। ण्प्Aऊउझ्ऊ ने लोकप्रियता क्रम से दूसरे पॉपुलर स्ट्रीट फूड भी गिना दिए, ‘पाव भाजी, भेलपुरी, दही पूरी, चाट, पानी पूरी और बॉम्बे सैंडविच।’ आगे और भी नाम हैं- सेवपूरी, ब्रेड पकौड़ा, सींगदाना, कांदा-पोहा, रगड़ा-पेटिस, झुणका-भाकर, चाइनीज भेल, दाबेली…! महाराष्ट्रीयन खान-पान तेजी से अपनी पहचान बनाने में लगा है। कुछ समय पहले ‘टेस्ट एटलस’ ने अपने सर्वेक्षण में विश्व के ५० पारंप‌रिक वीगन फूड की श्रेणी में मिसल पाव को ११वां, वड़ा पाव को १३वां, मसाला वडा को २७वां और भेलपूरी को ३७वां स्थान दिया है।
झुणका भाकर
झुणका भाकर (भाकरी पीटला) खाने वालों में ८० फीसदी महाराष्ट्रीयन होते हैं। बेसन की दाल और ज्वारी को रोटी। सबसे सस्ता, पर सबसे पौष्टिक भोजन है झुणका भाकर (भाकरी पीटला)। मुंबई में कई झुणका भाकर केंद्रों में बहुत सस्ते में भाकरी, झुणका और लहसुन की चटनी बेचते हैं। इनमें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के पास वाला झुणका भाकर केंद्र सबसे पुराना है। ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के आधार ने इस संस्था को आज भी जीवित रखा हुआ है।
वड़ा पाव
मुंबई ही नहीं, महाराष्ट्र का सबसे अधिक लोकप्रिय फास्ट फूड है वड़ा पाव। इसे रेहड़ी से लेकर ताजमहल होटल के फाइन डाइन रेस्त्रां में और नारियल के फ्लेवर व सिजलर से लेकर सलाद, शेजवान व पनीर से लेकर… यहां तक कि चिकन व जैन अवतार में भी पाया जाता है। हां, यह लंदन, सिडनी, न्यूयार्क और स्विट्जलैंड में भी मिलेगा-‘बॉम्बे बर्गर’ के नाम से। अनारदाने के साथ ‘दाबेली’ नाम से इसका एक मसालेदार और मीठा, गुजराती अवतार भी है।
मिसल पाव
२०१५ में दादर के आस्वाद उपाहार और मिठाई गृह के मिसल को फूडी हब ग्लोबल अवॉर्ड ने ‘विश्व का सबसे स्वादिष्ट शाकाहारी व्यंजन’ करार दिया, तब जाकर भारत के दूसरे हिस्सों के लोगों ने जाना महाराष्ट्र के इस व्यंजन के बारे में। मामा (नारायण विष्णु) काणे का स्वच्छ उपाहार गृह १९१० के दशक में मिसल लानेवाले पहले संस्थानों में से है। ठाणे की मामलेदार वैंâटीन भी इतनी ही प्रतिष्ठित है। मामलेदार वैंâटीन स्थापित करने वाले लक्ष्मण मुरुडेश्वर का कुछ ही वर्ष पहले निधन हुआ है। मुंबई में मिसल को लोकप्रिय बनाने का सबसे अधिक श्रेय उन्हें ही जाता है। मुंबई में मिसल का प्रामा‌णिक स्वाद पाने के लिए कुछ प्रमुख जगहें हैं ‘आई लव मिसल’, ‘दि मिसल मैन’, ‘मिसल जंक्शन’, ‘विनय हेल्थ होम’, ‘भट्ट विश्रांति गृह’, ‘मिसल दरबार’, ‘हाउस ऑफ मिसल’, ‘एनीटाइम मिसल’, ‘लाडू सम्राट’, ‘पणुशिकर मिठाई केंद्र’, ‘असल मिसल’, ‘लक्ष्मी‌ मिसल सेंटर’ और ‘आराम’।
पुणेरी का पोहा वर्जन, नासिक का ब्लैक मिसल, नारियल और धनिए का उपयोग वाला कोल्हापुरी मिसल, मालवण तड़का जैसे स्वादों के साथ खानदेशी, नागपुरी, कोल्हापुर, नासिक, संगमेश्वर और नगर मिसल जैसे मिसल के विभिन्न स्थानीय संस्करण हैं। नासिक में मौली मिसल, कोल्हापुर में अभीची मिसल व लक्ष्मी मिसल और पेण में अप्पा तांडेल स्नैक्स सबसे बड़े नाम हैं। कल्या मसल्याची मिसल, शेव मिसल, दही मिसल, चाइनीज शेजवान स्टाइल और फलारी मिसल जैसी वैराइटियां अलग।
मिसल अंकुरित दालों के साथ तैयार किया जाता है। इसके दो भाग होते हैं : प्याज, अदरक, लहसुन, इमली और ‌मसालों के उपयोग से मटकी की गाढ़ी करी, यानी उसल और पानी वाली ग्रेवी, यानी रस्सा-अपने स्वाद और जरूरत के हिसाब से। फरसाण, सेव, गाठिया, चिवड़ा, प्याज, नींबू और धनिया डालकर इसे मक्खन, छाछ या दही और पापड़ के साथ टोस्ट किए पाव, ब्रेड, रोल्स, चपाती और पूरी के साथ गर्मा-गर्म परोसा जाता है। इसे व्यंजन या नाश्ते के रूप में खा सकते हैं और पूर्ण भोजन के रूप में भी। कोली और मालवणी फूड फेस्टिवल की तरह मिसल उत्सव भी हुआ करते हैं।
चुनौतियों से मुकाबिला
४० प्रतिशत आबादी मराठी होने के बावजूद यहां महाराष्ट्रीयन भोजनगृह उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। मसलन, लैमिंगटन रोड पर ‘चापेकर’ और चर्नी रोड पर ‘विनय हेल्थ होम।’ महाराष्ट्रीयन शैली के भोजन के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं दादर और गिरगांव। दादर में जहां ‘मामा काणे’, ‘प्रकाश’, ‘तांबे’, ‘जिप्सी कॉर्नर’ और ‘तृ‌प्ति’ जैसे रेस्त्रां हैं वहीं गिरगांव में ‘सत्कार’, ‘प्रकाश दुग्ध मंदिर’, ‘पणशीकर आहार’, ‘आइडियल मिठाई चिवडा’ और ‘कोल्हापुरी चिवडा।’
आज से करीब ७० वर्ष पहले कुलकर्णी, वेलणकर, बोरकर, उपाध्ये, पुरोहित, पणशीकर नामधारी महाराष्ट्रीयन व्यंजनों के होटल हुआ करते थे। अब नहीं दिखते। बीते वर्षों में गिरगांव के गिरकर, फोर्ट के केलकर विश्रांति गृह, लालबाग का सरदार और दादर के दत्तात्रेय बोर्डिंग जैसे रेस्त्रां एक-एक कर बंद हो चुके हैं। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कुछ वर्ष पहले हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने उडिपी रेस्त्रां से आग्रह किया था कि वे अपने मेन्यू में महाराष्ट्रीयन आहार को जरूर शामिल करें। इंडियन होटेल्स ऐंड रेस्टोरेंट असोसिएशन (आहार) ने भी अपने ७००० रेस्त्रांओं से भी इस तरह का आग्रह किया। पर इक्का-दुक्का प्रयासों को छोड़कर इसका कोई असर नहीं दिखा।

(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)

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