मुख्यपृष्ठस्तंभमुंबई मिस्ट्री : महाराष्ट्र की धरा जिनकी कृतज्ञ है

मुंबई मिस्ट्री : महाराष्ट्र की धरा जिनकी कृतज्ञ है

विमल मिश्र
मुंबई

‘भारत छोड़ो’ के दौरान सातारा और सांगली में नागरिकों की जो ‘प्रति सरकार’ बनी थी, नागनाथ नाइकवाडी और किशनराव अहीर उसके शीर्ष नेताओं में से थे। कैप्टन रामचंद्र लाड इस प्रति सरकार की ‘तूफान सेना’ के फील्ड मार्शल थे। माधव श्रीहरि अणे, विनायक राव कापिले और गौर हरि दास भी स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से थे।

डॉ. नागनाथ अण्णा नाइकवाडी व किशनराव अहीर
१९४० के दशक में ‘भारत छोड़ो’ के दौरान नाना पाटील और अच्युत पटवर्धन ने भूमिगत रहते हुए सातारा और सांगली में नागरिकों की जो ‘प्रति सरकार’ बनाई थी, डॉ. नागनाथ अण्णा नाइकवाडी और किशनराव अहीर उसके शीर्ष नेताओं में से थे। ‘क्रांतिवीर नागनाथ’ हैदराबाद के निजाम के विरुद्ध संघर्ष करते हुए ब्रिटिश पुलिस से एक मुठभेड़ के दौरान घायल हो गए। बंदीकाल में कुछ साथियों के साथ वे सातारा जेल तोड़कर भाग निकले और चार वर्ष भूमिगत रहकर अंग्रेज सरकार से लोहा लेते रहे। उन्हें ‌जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए सरकार ने ईनाम घोषित किया था। देश की आजादी के बाद राजनीति और शिक्षा क्षेत्र में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। उन्हें ‘पद्मभूषण’ अलंकरण से सम्मानित किया गया।
कैप्टन रामचंद्र श्रीपति लाड
‘भारत छोड़ो’ के दौरान नाना पाटील और अच्युत पटवर्धन ने भूमिगत रहते हुए १९४३ में सातारा और सांगली में नागरिकों की ‘प्रति सरकार’ बनाई थी। प्रति सरकार की सेना ‘तूफान सेना’ कहलाती थी, जिसका काम था सरकारी बैंकों खजानों, शस्त्रागारों, डाकघरों, ट्रेनों, पुलिस थानों और सरकार समर्थक जमींदारों व साहूकारों से धन और हथियार लूटना। वैâप्टन रामचंद्र लाड इसी ‘तूफान सेना’ के फील्ड मार्शल थे। इस लूट से प्रति सरकार पर होने वाला खर्च निकाला जाता और उसका एक ‌हिस्सा गरीबों को बांट दिया जाता। ७ जून, १९४३ के दिन ब्रिटिश राज के अधिकारियों का वेतन लेकर जा रही पुणे-मिरज ट्रेन पर क्रांतिकारियों ने ऐतिहासिक हमला उन्हीं के नेतृत्व में किया था।
माधव श्रीहरि अणे
माधव श्रीहरि अणे यवतमाल के वणी नामक स्थान में पैदा हुए। अध्यापन और वकालत की और ‘बापूजी अणे’ और ‘लोकनायक अणे’ के नाम से विख्यात हुए। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव में राजनीति में आए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कार्यकारिणी के सदस्य और होमरूल लीग के उपाध्यक्ष बने। १९२१ से १९३० तक विदर्भ प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षता की। महात्मा गांधी के ‘नमक सत्याग्रह’ के समय वैâद भोगी। स्वराज्य पार्टी की ओर से केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए और वहां अपने दल के मंत्री बने। कांग्रेस से मतभेद होने पर महामना मदनमोहन मालवीय के साथ मिलकर ‘कांग्रेस नेशनलिस्ट पार्टी’ नामक नया दल बनाया। १९४३ में जब गांधीजी ने पुणे के आगा खां महल में अनशन आरंभ किया और सरकार झुकने के लिए तैयार नहीं हुई तो विरोध स्वरूप उन्होंने भारत के वायसराय की कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया। ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित अणे जी अपने पिता की ही तरह विद्वान थे। वे पुणे के वैदिक शोधक मंडल के अध्यक्ष थे। उन्होंने १२,००० श्लोकों में संस्कृत में तिलक महाराज का चरित्र लिखा है। वे श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त रहे, स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा के सदस्य और बिहार के राज्यपाल भी रहे। १९५९ से १९६७ तक वे लोकसभा सदस्य भी रहे। २६ जनवरी, १९६८ को उनका देहांत हो गया।
विनायक राव कापिले
विनायक राव कापिले को बनारस षड़यंत्र केस का फरार अभियुक्त घोषित किया गया था। नागपुर के पास रहनेवाले इस युवक ने मध्य भारत के सात युवकों का एक दल इस क्रांति के लिए बनाया था। उनका एक बड़ा कारनामा था क्रांतिकारी कार्यों के ‌लिए भीषण संहारक बम बंगाल से लेकर पंजाब पहुंचाना।
गौर हरि दास
‘वानरसेना’ के उत्पात, बैन के बावजूद तिरंगा फहराने, जोखिम भरी राहों से आजादी के दीवानों के लिए खत ले जाने, टोपी पैâलाकर चंदा इकट्ठा करने और जेल में बिताए दिनों की खुशनुमा यादों को लिए देश की आजादी के लिए सात दशक पहले अंग्रेजों से लोहा लेने वाले पूर्व इंजिनियर गौर हरि दास ने सोचा तक नहीं था कि आजाद देश की ब्यूरोक्रेसी उनके स्वतंत्रता सेनानी होने के सच को ही नकार देगी। स्वतंत्रता सेनानी का एक अदद सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए निज सरकार और अपने ही लोगों से पंगे पड़े। मुंबई के बोरिवली में जिंदगी का वृद्धावस्था गुजार रहे इस वृद्ध उड़िया स्वतंत्रता सेनानी की रामकहानी – जिसे अनंत महादेवन ने ‘गौर हरि दास्तान’ नाम से सेल्यूलाइड पर उतारा है – अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने वालों के लिए एक मिसाल है। (जारी)

(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)

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