भरतकुमार सोलंकी
मुंबई, जिसे देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता हैं, अपने गगनचुंबी इमारतों और तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट बाजार के लिए जानी जाती हैं। हर साल हजारों लोग यहां रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में आते हैं। लेकिन क्या इस बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के दबाव को संभालने के लिए रियल एस्टेट बाजार अपनी जिम्मेदारी निभा पा रहा हैं? शहर में घरों की कीमतें इस हद तक बढ़ चुकी हैं कि आज एक साधारण घर की कीमत भी दो-ढाई करोड़ रुपए से कम नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह उठता हैं कि क्या इतने महंगे घर खरीदने वाले लोग वास्तव में शहर में मौजूद हैं? दो-ढाई करोड़ का घर खरीदने के लिए औसतन दो-ढाई लाख रुपए मासिक किस्त चुकानी पड़ती हैं। तो क्या मुंबई में इतने अधिक वेतन वाले रोजगार पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं, जो इस बाजार की मांग को बनाए रख सके?
दूसरी ओर, नवी मुंबई, वाशी और ऐरोली जैसे क्षेत्रों में अपेक्षाकृत सस्ते और बेहतर आवास उपलब्ध हैं। इन क्षेत्रों में रोजगार के नए केंद्र भी बन रहे हैं, जो युवा वर्ग को आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह हैं कि जब नवी मुंबई जैसे विकल्प उपलब्ध हैं, तो युवा वर्ग महंगे घर खरीदने के लिए पुरानी मुंबई का रुख क्यों करेगा? क्या वह ट्रैफिक की समस्या और महंगे जीवन यापन का बोझ उठाना चाहेगा, जब उसे सस्ते और बेहतर विकल्प मिल सकते हैं?
मुंबई के महंगे रियल एस्टेट बाजार में असमानता का एक स्पष्ट चित्र उभरता हैं। गगनचुंबी इमारतो और महंगे घरो ने इसे ऊपरी वर्ग के निवेशको का आकर्षण बना दिया हैं, लेकिन मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए घर खरीदना सपना बनता जा रहा हैं। क्या यह स्थिति शहर के भविष्य के लिए खतरा नहीं बन सकती? जब देश भर में 100 से अधिक शहरो में बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ विकास हो रहा हैं, तो क्या युवा वर्ग मुंबई को प्राथमिकता देगा? या फिर यह बाजार धीरे-धीरे उस बुलबुले में बदल जाएगा, जो कभी भी फूट सकता हैं?
यदि इस समस्या का समाधान नहीं खोजा गया, तो क्या मुंबई का रियल एस्टेट बाजार अपनी स्थिरता खो देगा? क्या यह गगनचुंबी इमारते भविष्य में खाली खड़ी रहेगी और बिल्डर्स के लिए यह घाटे का सौदा बन जाएगा? इस स्थिति से निपटने के लिए क्या किफायती आवास योजनाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए? क्या बिल्डर्स को अपनी रणनीति बदलनी होगी और कीमते तर्कसंगत करनी होगी?
मुंबई का भविष्य तभी उज्ज्वल हो सकता हैं, जब रियल एस्टेट बाजार विकास और अफ़ोर्डेबिलिटी के बीच संतुलन स्थापित करे। क्या यह समय नहीं आ गया हैं कि शहर में सस्ते और किफायती आवासो को प्राथमिकता दी जाए? क्या हरित क्षेत्रो के संरक्षण और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण से शहर के पर्यावरणीय संकट का समाधान संभव हैं? यह समय मुंबई के विकास को लेकर गंभीर सवाल उठाने का हैं? क्या मुंबई की रियल एस्टेट नीतियां आने वाले समय में अपनी चमक बरकरार रख पाएंगी या यह बाजार धीरे-धीरे अपनी नींव खो देगा?