सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने शहर के ३० ब्लैक स्पॉट्स को सुरक्षित बनाने का दावा किया था, लेकिन हकीकत इससे अलग नजर आ रही है। कई जगहों पर सुरक्षा सुधार अधूरे रह गए, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना हुआ है। पुलिस के अनुसार, इन ब्लैक स्पॉट्स पर दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, २०२३ में जहां २९२ हादसे हुए थे, वहीं २०२४ में यह संख्या १७३ रह गई। लेकिन क्या यह सुधार जमीनी स्तर पर हुआ है या सिर्फ आंकड़ों में ही है? कुछ इलाकों में स्पीड ब्रेकर लगाने की योजना थी, लेकिन अब तक वहां कोई निर्माण नहीं हुआ। सड़क किनारे संकेतक बोर्ड नदारद हैं, जिससे वाहन चालकों को सही दिशा-निर्देश नहीं मिल पा रहे हैं। रात में दृश्यता बढ़ाने के लिए रेडियम लाइट्स लगाई गई थीं, लेकिन कई ब्लैक स्पॉट्स पर अभी भी गति नियंत्रण पट्टियां नहीं लगाई गई हैं। सड़क दुर्घटनाओं में अपने प्रियजनों को खो चुके लोगों का कहना है कि अगर सुधार समय पर किए जाते तो कई जिंदगियां बच सकती थीं। कुछ इलाकों में हादसों के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। मुंबई जैसे बड़े शहर में ट्रैफिक पुलिस की यह लापरवाही चिंता बढ़ाने वाली है। जब तक सभी ब्लैक स्पॉट्स पर सही सुधार नहीं होते, तब तक सड़कें लोगों के लिए खतरा बनी रहेंगी।