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मुंबई ठप्प सरकार गप्प!..जुमलेबाज सरकार ने मुंबई की कर दी दुर्दशा… हाईवे पर ५-५, १०-१० किमी का लग रहा है जाम

-मेट्रो का काम और टोल की अव्यवस्था बन गई मुसीबत

– दहिसर टोल नाके की अवस्था सबसे खराब

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई

मुंबई के सभी पांचों एंट्री प्वाइंट पर हल्के वाहनों को टोल टैक्स मुक्त कर दिया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य समय, खर्च होनेवाला र्इंधन और वाहनों से होनेवाले कार्बन उत्सर्जन को रोकना था। हालांकि, टोल टैक्स माफी का कोई खास असर नहीं दिखाई दे रहा है। आलम यह है कि मुंबई के सभी टोल नाकों पर कई किलोमीटर तक लंबी लाइन लग जा रही है। इसमें सबसे बुरी हालत तो दहिसर टोल नाके की है, जहां हर वक्त जाम लगा रहता है। कभी-कभार तो इस जाम के कारण हाईवे पर ५ से १० किलोमीटर लंबा जाम लग जाता है। इस अव्यवस्था का प्रमुख कारण है मेट्रो का काम और टोल की अव्यवस्था। ऐसे में कार चालकों का यही कहना है कि इस जुमलेबाज सरकार ने मुंबई की दुर्दशा कर दी है। उसकी कुनीतियों के कारण जहां मुंबई ठप्प सी हो जा रही है, वहीं यह सरकार गप्प (चुप) बैठी है।
टोल नाकों पर पांच किलो मीटर तक वाहनों की कतारें लगने से ट्रैफिक प्रबंधन का झोल भी उजागर हो रहा है। इसके चलते न केवल शहर में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, बल्कि वाहन चालकों को भी मिनटों का सफर घंटों में तय करना पड़ रहा है।

फिर भी होश में नहीं है सरकार!
दहिसर टोल नाके पर भले ही लोगों को टोल माफी का लाभ मिल रहा है, लेकिन उन्हें मुंबई और भायंदर की तरफ आवागमन करते समय रोजाना करीब पांच किलोमीटर तक लंबे ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है। दहिसर चेक नाका से ओवरीपाडा के बीच इस कदर यातायात जाम रहता है कि लाखों लोग घंटों ट्रैफिक जाम में फंसे रहते हैं और इससे बड़ी तादाद में र्इंधन भी बर्बाद हो रहा है। इसे लेकर अब आम जनता में भी आक्रोश पैâलने लगा है। इस मामले में मुंबई हाई कोर्ट भी सरकार को फटकार लगा चुका है, पर यह बेशर्म सरकार इस मामले में होश में ही नहीं है।
बता दें कि हाई कोर्ट ने पहले ही कहा है कि यह एक गंभीर मामला है। इस अनियंत्रित यातायात का सीधा असर प्रदूषण पर पड़ता है। शहर में यातायात का समुचित प्रबंधन नहीं है। वेस्टर्न और ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर ट्रैफिक के कारण सभी कारें फंसी रहती हैं। वे जहरीली गैसें उत्सर्जित कर रही हैं। शहर में मेट्रो निर्माण कार्य हो रहा है। कई एजेंसियां ​​हैं, लेकिन वे हम लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। कोर्ट कह चुका है कि बड़े पुलों, कोस्टल रोड और अन्य परियोजनाओं के निर्माण के बावजूद अगर उपनगरों तक पहुंचने में लंबा समय लगता है, तो वर्तमान यातायात प्रबंधन महत्वहीन हो चुका है। इसके साथ ही यातायात विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यातायात सुगम हो।
सिर्फ छलावा हैं सरकारी नीतियां
चुनाव से पहले लिया गया ये पैâसला महज एक छलावा दिखाई साबित हो रहा है। मुंबई जैसे बड़े महानगर में कोई भी ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान नहीं है। ट्रैफिक पुलिस द्वारा एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स को व्यवस्थित नहीं किया गया है। नतीजतन, जनता हर दिन इस अराजकता का सामना कर रही है। दहिसर टोलनाके की स्थिति सबसे ज्यादा विकट दिखाई दे रही है, जिसे सुलझाने के लिए किसी तरह का कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
सभी टोल नाकों का बुरा है हाल
भायंदर निवासी महेशराज ने कहा कि मुलुंड और वाशी टोल की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। यहां भी लोगों को घंटों लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर सरकार का टोल माफी का पैâसला किसी भी रूप में ट्रैफिक की समस्याओं को कम नहीं कर पाया है। ट्रैफिक जाम की समस्या जस की तस बनी हुई है, जिसे सुलझाने में यह सरकार नाकाम रही है। विरार निवासी कृष्णा सिंह ने कहा कि हल्के मोटर वाहनों को टोल नाका पर रुकने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसे टोल प्रâी कर दिया गया है। लेकिन सभी टोल नाकों पर बैरियर हैं, जिसे वहां से हटा देना चाहिए, ताकि कारें वहां से सुगमता से गुजर सकें। इनकी आवश्यकता केवल भारी वाहनों के लिए होती है। यातायात के लिए टोल टैक्स हटाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। अगर इससे प्रदूषण बढ़ रहा है तो इसका फायदा क्या है? ये जाम समस्याएं पैदा कर रहे हैं। टोल माफी के बाद एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स पर ट्रैफिक फ्लो स्मूथ होना चाहिए था। लेकिन हकीकत में यहां की स्थिति बद से और बदतर हो गई है।

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