रेडॉन, नाइट्रोजन, कार्बन, एस्बेस्टॉस से श्वसन रोग बढ़े मास्क पहनें, धुएं से बचें
सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली के बाद मुंबई में प्रदूषण ने कहर बरपाया है। दक्षिण मुंबई के साथ-साथ बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, सायन, चेंबूर, माझगांव, गोरेगांव, मालाड, बोरीवली, दहिसर में हवा दिन-ब-दिन जहरीली होती जा रही है। यह विषैली हवा धीरे-धीरे फेफड़ों को खोखला कर रही है। वाहनों, निर्माण कार्यों, ठेलों और कचरा जलाने से निकलने वाले रेडॉन, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, कार्बन, सल्फर डाईऑक्साइड जैसी घातक और विषैली गैसों के कारण वैंâसर के मरीज बढ़ रहे हैं। यह चौंकाने वाली जानकारी मुंबई के डॉक्टरों ने दी है। साथ ही प्रदूषण बढ़ने पर मास्क पहनने, धुएं से बचने और यातायात की भीड़ में विशेष सावधानी बरतने की सलाह भी डॉक्टरों ने दी है। डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से निकलने वाली घातक गैसों और विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों के कारण होने वाले प्रदूषण का फेफड़ों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस तरह की जानकारी पवई के हिरानंदानी अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुहास आग्रे ने दी है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से रेडॉन, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड और एस्बेस्टॉस के कणों के कारण श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ती हैं। इसके बाद ही स्थिति कैंसर तक पहुंच जाती है। यह तथ्य कई बार सामने आ चुका है कि धूम्रपान न करने वालों को धूम्रपान करने वालों की तुलना में कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विजय पाटील ने कहा कि गांवों में चूल्हे और ठेलों के कारण होने वाले प्रदूषण से श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। शहर में ८० से ९० प्रतिशत मरीजों में चौथे या एडवांस स्टेज में कैंसर का पता चल रहा है। इस बीच डॉ. सचिन आल्मेल ने कहा कि प्रदूषण के कारण फेफड़े का कैंसर हो सकता है। पिछले चार वर्षों में प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़ने से श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ी हैं।
मुंबई के ये इलाके हैं बीमारियों का अड्डा
देवनार डंपिंग ग्राउंड के आस- पास के मानखुर्द, अणुशक्ति नगर, शिवाजी नगर, चेंबूर जैसे इलाकों के निवासियों को अस्थमा, टीबी, कैंसर जैसी कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इनके इलाज पर लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। देवनार के सामाजिक कार्यकर्ता समीउल्ला अंसारी ने कहा कि देवनार डंपिंग ग्राउंड के पास स्थित एसएमएस कंपनी में बायोवेस्ट जलाया जाता है। इससे निकलने वाली विषैली गैसों के कारण यहां के लोगों का जीवन मुश्किल हो गया है। डंपिंग ग्राउंड में कचरे पर प्रक्रिया करने वाला प्रोजेक्ट बन रहा है। इसकी चिमनी एसएमएस कंपनी की चिमनी से पांच गुना बड़ी है। इससे बड़ी मात्रा में विषैली गैसें निकलेंगी। इसलिए यहां के निवासियों में भारी डर का माहौल है।
फुल रही है मुंबईकरों की सांस
वातावरण फाउंडेशन के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी भगवान केसभट ने कहा कि शहर में वाहनों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। इसमें १५ साल से अधिक पुराने वाहनों की संख्या भी काफी है। मुंबई सेंट्रल, परेल, कुर्ला से निकलने वाली पुरानी और जर्जर एसटी बसों की संख्या भी ज्यादा है। इसके कारण विषैली गैसों का हवा में स्तर बहुत अधिक है। इसके अलावा १२ हजार से अधिक निर्माण कार्य और मेट्रो निर्माण कार्य भी मुंबई में चल रहा है। इसके कारण धूल के बारीक कण और एस्बेस्टॉस का स्तर हवा में अधिक है।