मझगांव, सिद्धार्थ नगर, वर्ली व मालाड में अधिक प्रदूषण
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबईकरों को हर दिन खराब हवा के कारण सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं अब २०२४ की एक रिपोर्ट में यह साफ हो गया है कि मझगांव, सिद्धार्थ नगर, वर्ली और मालाड-पश्चिम जैसे इलाके वायु प्रदूषण की खराब स्थिति में है। प्रशासन की निष्क्रियता और प्रभावी उपायों की कमी के कारण पीएम २.५ प्रदूषक स्तर ने राष्ट्रीय मानकों (एनएएक्यूएस) को पार कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, इन इलाकों में पीएम २.५ प्रदूषकों का स्तर ४० माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ऊपर था। मझगांव और वर्ली में क्रमश: ६५.५ और ५७.१ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर प्रदूषण दर्ज किया गया। बड़ी बात तो यह है कि बोरीवली-पूर्व के दो स्टेशनों पर सबसे खराब प्रदूषण स्तर पाए गए। एक में २०.४ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था, वहीं दूसरे में यह ४१.७ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा।
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि सर्दियों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ जाता है। विशेषकर दिसंबर से फरवरी तक, जब यह ४५ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंंच जाता है। दिसंबर २०२४ में यह स्तर ६६.२ और दिसंबर में ६६.८ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था।
विश्व स्वास्थ्य संग’न (डब्ल्यूएचओ)
के मानक के मुताबिक, पीएम २.५ का स्तर ५ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए। पर मुंबई में ये आंकड़े कहीं ज्यादा हैं। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस बढ़ते प्रदूषण पर कोई ‘ोस कदम उ’ाएगा या फिर एक और रिपोर्ट बनकर रह जाएगी?
२०२४ में पीएम २.५ का वार्षिक स्तर ३६.१ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था, जो २०१९ के ३५.२ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक है। यह सवाल अब हर मुंबईकर के मन में है कि क्या प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लेगा? या फिर उन्हें इस खराब हवा में जीने के लिए छोड़ दिया जाएगा।