-झोपड़पट्टियों में लागू होगा कमर्शियल टैक्स
-सॉलिड वेस्ट लेवी भी नागरिकों को पड़ेगी देनी
-चुनावी अनुदान की करनी है वसूली
-जुटाना है ७,४१० करोड़ का अतिरिक्त राजस्व
रामदिनेश यादव, ब्रजेश पाठक / मुंबई
मुंबईकरों पर अब करों का नया बोझ पड़नेवाला है। मुंबई मनपा ऐसा कारनामा करने के मूड में है। एक तरफ जहां पानी, प्रॉपर्टी और मल निस्तारण के लिए टैक्स बढ़ाने की योजना है, वहीं दूसरी तरफ सॉलिड वेस्ट के नाम पर लेवी और झोपड़पट्टियों में कमर्शियल टैक्स जैसे नए कर लगाकर मुंबईकरों को लूट‘तंत्र’ के जाल में फंसाने की योजना पर ‘ईडी’ २.० सरकार काम कर रही है।
मनपा ने कल अपना भारी-भरकम बजट पेश किया। इस बजट में मुंबईकरों को राहत देने की बजाय उन्हें लूटने का कार्यक्रम ज्यादा नजर आया। बजट पेश करते हुए मनपा आयुक्त व प्रशासक भूषण गगरानी ने कहा कि इस बार ७,४१० करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए नागरिकों पर नए टैक्स लगाने और बढ़ाने की बात उन्होंने कही।
लोकलुभावन योजनाओं ने निकाली जान
गत विधानसभा चुनाव जीतने के लिए महायुति सरकार ने ‘लाडली बहन’ और ‘लाडले भाऊ’ जैसी कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणाएं की थीं। इनके तहत काफी अनुदान बांटे गए, जिससे सरकार का खजानी खाली हो चुका है। अब सरकार को इस अनुदान की वसूली भी तो करनी है इसलिए वह मुंबईकरों पर नए-नए कर लादने जा रही है। मनपा के बजट में नया कर लगाने की खबर आने के बाद मुंबईकरों ने महायुति सरकार के प्रति नाराजगी दिखाई है।
राज्य सरकार मनपा का दबाए बैठी है १० हजार करोड़!
राज्य सरकार मनपा को विभिन्न मद में पैसा देती है। मगर महायुति सरकार का खजाना खाली है और पिछले काफी समय से उसने मनपा को पैसा नहीं दिया है। बताया जाता है कि इस वक्त मनपा का लगभग १० हजार करोड़ रुपए यह सरकार दबाए बैठी है। हैरान करनेवाली बात तो यह है कि सरकार से पैसे वसूलने की हिम्मत मनपा में है नहीं, ऐसे में वह मुंबईकरों पर करों का अतिरिक्त बोझ लादने जा रही है।
लटका है मनपा का चुनाव
मनपा का चुनाव पिछले कई साल से अटका पड़ा है। मनपा में नगरसेवक नहीं हैं और प्रशासक के भरोसे मनपा का कारभार चल रहा है। निर्वाचित जनप्रतिनिधि नहीं होने के कारण मनपा पर सीधे राज्य सरकार का नियंत्रण हो गया है। यही कारण है कि सरकार को कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है और वह अपनी मनमानी कर रही है।