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मुंबई का माफियानामा : शॉटगन की सुपारी,  खामोश…

विवेक अग्रवाल

हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।
िंहदी फिल्मों में खलनायक से नायक बना, चेहरे से बेहद कठोर दिखने वाला एक व्यक्ति ऐसा है। जिसकी हत्या की मुंबई माफिया द्वारा सबसे अधिक कोशिशें हुई हैं।
फिल्मी दुनिया के शॉटगन यानी शत्रुघ्न सिन्हा के पीछे डी-कंपनी एक वक्त तो इस कदर पड़ी कि जब-तब उन्हें मारने के लिए सुपारी हत्यारे भेजती रही। इतिहास गवाह है कि मुंबई में शत्रुघ्न सिन्हा के पीछे जितने सुपारी हत्यारे लगे रहे हैं, उतने ही शायद भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी या नरेंद्र मोदी के नहीं।
कारण इतना ही कि ये शॉटगन भी भारतीय जनता पार्टी का एक चमकदार चेहरा हैं। ये बात और है कि उनका कभी ऐसा कोई बयान नहीं आया कि वे हिंदूवादी दिखें। इसके बावजूद डी-कंपनी का इरादा उन्हें मार कर भाजपा समेत तमाम हिंदूवादी दलों को संदेश देना था कि वे किसी हिंदूवादी को नहीं बख्शेंगे।
सादिक को सुपारी: छोटा शकील के प्यादे सादिक कालिया को यह काम सौंपा गया। वो काम पूरा करता, उसके पहले इं. प्रदीप शर्मा के दस्ते ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया। सादिक को शत्रुघ्न की सुपारी देने की जानकारी तब सामने आई, जब जनवरी १९९८ में उत्तर प्रदेश से पकड़े डी-कंपनी के गुंडे उस्मान धुरी से पूछताछ हुई। उसने बताया कि सिन्हा को मारने के लिए गिरोह ने आठ माह में कई कोशिशें की लेकिन हर बार असफलता हाथ लगी।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) रणजीत सिंह शर्मा के मुताबिक, डी-कंपनी के एक गुंडे ने पूछताछ में कबूला कि गिरोह का एक सदस्य दो बार सिन्हा की हत्या के इरादे से उनके बंगले ‘रामायण’ गया। भारी सुरक्षा के कारण उसे ‘काम’ का मौका नहीं मिला। श्री सिंह के मुताबिक, उस्मान को जेजे थाने ने मोहम्मद इस्माईल हत्याकांड में एक सूचना के आधार पर बरेली के एक गांव से पकड़ा है। उस्मान से पूछताछ के मुताबिक, शॉटगन सिन्हा को असली शॉटगन का खेल दिखाने के लिए लाखों की सुपारी आई थी।
मो. असलम उर्फ शेरू को सुपारी: उस्मान धुरी ने बताया कि अनीस के प्यादे शेरू ने सन १९९७ में सिन्हा की हत्या की २ असफल कोशिशें उनके बंगले पर कीं। कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के कारण शेरू ने पहले तो यह जिम्मेदारी उठाने से इंकार भी किया था। शेरू का साथी यूनुस बॉंड भी उस्मान का दोस्त था।
अक्टूबर १९९४ में रामदास नायक और शत्रुघ्न सिन्हा की हत्या के लिए दो करोड़ रुपए की सुपारी शकील ने अप्रैल में मोहम्मद असलम उर्फ शेर मोहम्मद अली उर्फ शेरु को दी। उन पर हमले की एक योजना उसी महीने में असफल हुई थी। शेरू को मुंबई पुलिस ने बंगलूरु में पांच अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध एमएन सिंह ने बताया कि दोनों सुपारी के लिए उसे शकील ने रकम देना तय किया था। इस मामले में सलीम सोंडे, सैय्यद चांद सैय्यद २२, शमीम अहमद सुलेमान शेख उर्फ निक्की २८ और सैय्यद मोहसिन खान ३१ समेत कुल ६ गुंडे देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार हुए। रामदास नायक की हत्या बांद्रा में सड़क पर कार से जाते वक्त डी कंपनी के हत्यारों ने की।
शत्रुघ्न की जान भी उस हमले में अजब कारण से बची। जिस रिक्शे में सुपारी हत्यारे सवार थे, उसके चालक को जब पता चला कि ये किसे मारने जा रहे हैं, तो वह चलते रिक्शे से कूद कर भाग निकला। चकराए हुए हत्यारों के सामने काम छोड़ कर भागने के अलावा कोई और रास्ता भी नहीं बचा।
जब सिन्हा से पूछा कि उनकी हत्या की सुपारी डी-कंपनी ने उठाई है तो उन्होंने आश्चर्य जताया कि उनकी हत्या के लिए भी सुपारी दी जा रही है। वे कहते हैं, `मेरी किसी से दुश्मनी नहीं है। मैं किसी बिल्डर या गिरोह से जुड़ा नहीं हूं। मैने कभी किसी के खिलाफ कुछ किया या कहा नहीं, तो फिर कोई क्यों मुझे मारेगा?’
एक खबरी इस मामले पर कहता है:
– अपुन को ये लफड़ाच टेढ़ा लगता है। ऐईसा तो नर्इं कि मोदी और आडवाणी के मर्डर वाला पिलान दिखा के काऊंटर का गेम इदर भी धकेल दिया?
(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)

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