सामना संवाददाता / मुंबई
वर्ष २०१७ में मुंबई में भारी बारिश के दौरान खुले मैनहोल (गटर) में गिरकर मशहूर लिवर विशेषज्ञ डॉ. दीपक अमरापुरकर की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद मैनहोल ढक्कन चोरी का मुद्दा गंभीर बन गया, लेकिन ७ साल बाद भी इस चोरी को रोकने में मनपा और पुलिस असफल रही है। जनवरी से जुलाई २०२४ के बीच लगभग ३०० मैनहोल ढक्कन चोरी हो चुके हैं। इन मामलों को लेकर शहर में दर्जनों एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। ये ढक्कन आमतौर पर कास्ट आयरन से बने होते हैं। मैनहोल ढक्कन चोरी करनेवालों में मुख्य रूप से नशे के आदी लोगों को पाया जाता है। एक अधिकारी ने बताया कि ये चोर सुनसान और कम भीड़भाड़ वाले इलाकों में मैनहोल ढक्कन चुराते हैं। चोरी के लिए वे मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करते हैं और बाद में रिक्शा, टैक्सी, टेम्पो या बड़े ट्रकों में भरकर इन्हें ले जाते हैं। यह ढक्कन लगभग १,५०० से २,००० रुपए में बेचे जाते हैं। पुलिस की मानें तो कुछ साल पहले मनपा ने मैनहोल ढक्कन पर धातु की जंजीरें लगाई थीं, ताकि उन्हें आसानी से हटाया न जा सके। मैनहोल ढक्कन चोरी की घटनाएं न सिर्फ सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि यह शहर के बुनियादी ढांचे के प्रति उदासीनता को भी दर्शाती हैं।