सामना संवाददाता / मुंबई
शिंदे सरकार जिस तरह से जनता को जरूरी सुविधाएं देने के प्रति अपनी जवाबदेही झटक रही है। उसी तरह ही मुंबई मनपा प्रशासन भी मनमानी करते हुए शिंदे सरकार के आदेशों की हर तरह से अनदेखी कर रही है। आलम यह है कि जारी शासनादेश में स्पष्ट निर्देश के बावजूद मनपा ने अपने मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टरों के मानधन में वृद्धि नहीं की है। दूसरी तरफ इस साल मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल छात्र बढ़ जाएंगे, जबकि हॉस्टल का पर्याप्त प्रबंध न होने से छात्रों के लिए कमरे कम पड़ने लगेंगे। अनदेखी के शिकार छात्रावास में पहले से ही छात्र मुश्किलों में रह रहे हैं, ऐसे में यह मुश्किलें आनेवाले दिनों में और बढ़ेंगी। इन सबके बीच बीएमसी मार्ड ने इन समस्याओं को हल करने के साथ ही लंबित मांगों को जल्द पूरा करने का आग्रह मनपा प्रशासन से किया है। बीएमसी मार्ड ने कहा है कि मार्च में राज्य सरकार ने रेजिडेंट डॉक्टरों के मानधन में १०,००० रुपए की वृद्धि का शासनादेश जारी कर दिया। सरकार ने उसे राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में लागू कर दिया, लेकिन मुंबई मनपा ने इस शासनादेश का अभी तक क्रियान्वयन नहीं किया है। बीएमसी मार्ड के मुताबिक, रेजिडेंट डॉक्टरों का नया बैच जुलाई और अगस्त से शुरू होने जा रहा है। साल २०२२ और २०२३ बैचों को मिलाकर इस बार मनपा के हर कॉलेज में २०० रेजिडेंट डॉक्टर बढ़ जाएंगे। ऐसे में छात्रावास में वर्तमान समय में मौजूद कमरे कम पड़ने लगेंगे। बता दें कि हॉस्टलों के कमरों में पहले से ही तीन-चार रेजिडेंट डॉक्टर रहने के लिए बाध्य हैं। ऐसे में आनेवाले दिनों में उनके लिए और मुश्किलें खड़ी हो सकती है।