– झोपड़पट्टी में कमर्शियल टैक्स!
– झोपड़ों में दुकान, कारखाने और प्रतिष्ठान के लिए कर
रामदिनेश यादव / मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की लगभग ७० प्रतिशत से ज्यादा आबादी झोपड़पट्टी क्षेत्र में रहती है। इन झोपड़पट्टी इलाकों में बड़े पैमाने पर छोटे-मोटे दुकान और गरीबों के कारखाने, होटल, टपरी एवं घरगुती संस्थान चलते हैं। मुंबई पर आर्थिक बोझ का हवाला देते हुए मनपा ने अब टैक्स प्रणाली इन गरीबों पर भी लागू करने का पैâसला किया है। झोपड़पट्टी इलाकों में छोटी-मोटी दुकानें, कारखाने और अन्य संस्थाओं पर मनपा अब कमर्शियल कर लगाएगी। सूत्रों की मानें तो मुंबई में लगभग ८ लाख से ज्यादा झोपड़े हैं और इनमें से तीन लाख से ज्यादा झोपड़ी कमर्शियल दुकान एवं अन्य के लिए इस्तेमाल की जाती है।
ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी मनपा ने झोपड़पट्टी इलाकों में छोटी-मोटी दुकानों, होटलों, चाय की दुकानों पर भी कर लगाया है। मनपा के बजट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि झोपड़पट्टी इलाकों में भी दुकानों पर कमर्शियल कर लगेगा। मनपा आयुक्त ने स्वयं पत्रकार परिषद लेकर इस बात की पुष्टि की कि मुंबई मनपा क्षेत्र में प्रत्येक प्रतिष्ठान, छोटी-मोटी दुकानों और अन्य पर कर लगाया जाना उचित है। उन्होंने कहा कि जो भी मुंबई मनपा के साधन संसाधन एवं सुविधाओं का लाभ लेगा, उसे मुंबई में कर चुकाना होगा। यह कर झुग्गीवासियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने में सहायक होगा। इतना ही नहीं मनपा के अनुसार झोपड़पट्टी इलाकों में व्यावसायिक संस्थानों का कर निर्धारण करने से लगभग १,३५० करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।
तिजोरी खाली
आय का जरिया नहीं
बतादें मुंबई मनपा ने वर्ष २०२५ -२६ का बजट में मुंबईकरों को जमकर सौगात दी है। मंगलवार को पेश बजट में मनपा ने पिछले वर्ष की तुलना में १४.१९ प्रतिशत बढ़ाकर कुल ७४४२७.४१ करोड़ का बजट पेश किया है। मनपा का यह बजट पूरी तरह से चुनावी माना जा रहा है। हालांकि इसमें किस तरीके से आय होगी, उसे लेकर कोई विशेष विवरण नहीं दिया गया। मनपा खर्च तो जमकर कर रही है लेकिन आय कहां से होगी, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है। यह बजट नुकसान का बजट है। इस बजट से साफ है कि इससे मनपा की तिजोरी पर भार पड़ेगा। मनपा के पास लगभग ८० हजार करोड़ की एफडी बची है। उसे तोड़कर अब नुकसान की भरपाई की जा सकती है। ऐसा दावा किया जा रहा है।