– घायलों की जानकारी छिपा रहा अस्पताल
सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा के टीबी अस्पताल का मानो चोली दामन के जैसा साथ हो गया है। इस अस्पताल का आए दिन कोई न कोई मामला सामने आ रहा है, जिस पर मनपा प्रशासन अक्सर खुलासा करने के नाम पर लीपापोती का काम करते नजर आता है। इस बीच एक बार फिर से यह अस्पताल विवादों में घिरता हुआ नजर आ रहा है। एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, मनपा का टीबी अस्पताल वायलेंस का अड्डा बन गया है। पिछले २९ महीनों में इस अस्पताल में वायलेंस के ८७ मामले सामने आए हैं। हालांकि, इन घटनाओं में कितने लोग घायल हुए हैं इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन की तरफ से नहीं दी गई है।
उल्लेखनीय है कि करीब १,२०० बेड वाले शिवडी अस्पताल की ओपीडी में रोजाना ३०० मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसके साथ ही अस्पताल में ८०० से ९०० भर्ती मरीजों का इलाज चल रहा है। हालांकि, यहां चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है, जिस कारण इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। इस अवस्था से न सिर्फ अस्पताल प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि इलाज करने वाले डॉक्टरों पर भी टीबी का साया मंडरा सकता है। दूसरी तरह यहां भर्ती होनेवाले मरीज न केवल आपस में मारपीट करते हैं, बल्कि कई बार स्टाफ पर भी हमला कर देते हैं। इसे कंट्रोल करने में अस्पताल प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। आरटीआई एक्टिविस्ट चेतन कोठारी द्वारा सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में बताया गया है कि २९ महीनों में वायलेंस के ८७ मामले सामने आए हैं। हालांकि, इन घटनाओं में कितने लोग घायल हुए हैं, इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन की तरफ से नहीं दी गई है।
वर्षवार आंकड़े
आरटीआई में बताया गया है कि मरीजों के बीच वर्ष २०२२ में ११, वर्ष २०२३ में २२ और इस साल पांच महीनो में ही ११ मारपीट के मामले सामने आए हैं। इसी तरह वर्ष २०२२ में ७, वर्ष २०२३ में १८ और वर्ष २०२४ मई तक ११ मामलों में मरीजों ने अस्पताल के स्टाफ के साथ मारपीट की है।
मरीजों की मौत पर भी उठ चुका है सवाल
टीबी अस्पताल ४१ महीनों में ड्रग सेंसटिग और ड्रग रेसिस्टेंस टीबी के कुल ३,१८५ मरीजों की मौतें हो चुकी हैं। इसमें २,१२६ पुरुषों और १,०५९ महिलाओं का समावेश है। इस तरह औसतन हर दिन दो से तीन रोगियों की मौत हो रही है। यह मौतें मुंबई मनपा की नाकामियों को उजागर कर रही हैं। इन मौतों को लेकर भी अस्पताल की किरकिरी हो चुकी है।
काम का है बोझ
अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के चलते कई बार एक ही डॉक्टर दोनों शिफ्ट की ड्यूटी करता है, जिससे उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। जानकारी के मुताबिक मुंबई में हर साल करीब ६०,००० हजार टीबी के मरीज मिलते हैं। इसमें बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान इत्यादि राज्यों से आनेवाले ही होते हैं।