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काशी में मुस्लिम महिलाओं ने होली उत्सव का आयोजन कर कट्टरपंथियों को दिया करारा जवाब

उमेश गुप्ता / वाराणसी

कट्टरपंथियों द्वारा धर्म की आड़ में नफरत फैलाने की कोशिशों के बीच, काशी की हिंदू-मुस्लिम महिलाओं ने एकता, प्रेम और सद्भावना का अद्वितीय उदाहरण पेश किया। मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में लमही के सुभाष भवन में मुस्लिम महिलाओं का होली उत्सव आयोजित किया गया। इस आयोजन में न केवल होली के रंगों में गुलाल और गुलाब जल की महक थी, बल्कि एकता और प्रेम का भी अनोखा संदेश था।
कार्यक्रम की शुरुआत ढोल की थाप पर गाए गए “होली खेले रघुराई” जैसे भक्तिमार्गी गीतों से हुई। इस दौरान मुस्लिम महिलाओं ने होली के रंगों से एक-दूसरे को रंगा और मिठाई भी बांटी। इनकी मुस्कान और एकता से साफ नजर आ रहा था कि कट्टरपंथी धमकियों और विभाजनकारी विचारों का इन पर कोई असर नहीं पड़ा। इन महिलाओं ने खुलेआम यह संदेश दिया कि वे न केवल होली खेलेंगी, बल्कि वे जन्नत भी जाएंगी। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय सदर, नाजनीन अंसारी ने इस अवसर पर कहा कि होली हमारे पूर्वजों और भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। हम न अरबी हैं, न तुर्की, हम भारतीय हैं। इस संस्कृति को बचाए रखना हमारा कर्तव्य है।
हम अपनी खुशी और प्रेम बांटने के लिए किसी के डर या धमकी से नहीं रुकेंगे।”विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने भी इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि जो लोग होली के रंग से परहेज करते हैं, वे रंगरेज को कैसे मना करेंगे? नफरत फैलाने वाले लोग खुद दूसरों की मदद लेने में पीछे नहीं रहते। विशाल भारत संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अर्चना भारतवंशी ने कहा कि खुशियां बांटने के लिए धर्म की दीवार नहीं हो सकती। जो लोग नफरत फैलाते हैं, वे धर्म के नाम पर पाप करते हैं। इस अवसर पर डॉ. नजमा परवीन ने कहा, “नफरत की आग को होली के रंगों से बुझाएंगे और जन्नत भी जाएंगे। हम श्रीराम और श्रीकृष्ण की संतान हैं, हमें कोई अलग नहीं कर सकता।” इस आयोजन में मुस्लिम महिलाओं के अलावा, हिंदू महिलाओं सहित कई अन्य लोग भी उपस्थित थे।

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