तुम मेरे चांद से कहना
रूठने का बहाना न सोचे
करीब आए, दूर न जाए
ये सारी दास्तां कहना
तुम मेरे चांद से कहना
कुछ भी हो दिल में, तो बेशक कहें
ऐसे मायूस होके कभी दूर न रहें
जो भी हो बातें सच-सच कहें
जो दिन गिन रहे वक्त मेरे
कैसा हूं मैं, ये कहना
तुम मेरे चांद से कहना
अपनी जिद यूं लेकर न रहें
मेरे नसीबों में नजदीक रहें
छोड़े न साथ कभी इस यादों की
मेरी भी बातें कुछ सुनते रहें
मैं कैसा हूं क्या जाने वो जाना
तुम मेरे चांद से कहना
वो बीती बातें दफन कर दे
अफसोस यूं ही सदा रहने दें
कह दो कि भूले न इक पल मुझे
इक लिहाज सरफिरी बहने दे
मैं कैसा रहता हूं ये बताना
तुम मेरे चांद से कहना
-मनोज कुमार, गोंडा, उत्तर प्रदेश