संदेह के घेरे में पुलिस की कार्यप्रणाली
मुंबई हाई कोर्ट ने मांगी प्रगति रिपोर्ट
घोड़बंदर रोड पर इमारत हड़पने का है आरोप
अमर झा / भायंदर
मीरा-भायंदर के पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र मेहता से जुड़े एक जमीन के मामले में मुंबई हाई कोर्ट ने पुलिस को दो सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। असल में घोड़बंदर की एक इमारत हड़पने के आरोप में मेहता पर तीन साल पहले एफआईआर दर्ज हुई थी, पर अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है। ऐसे में पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। हाई कोर्ट ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी की है।
हाई कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में ठाणे पुलिस की ढुलमुल कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई। यह मामला ठाणे में घोड़बंदर रोड पर एक इमारत के निर्माण से संबंधित है, जिसे कथित तौर पर मेहता ने हड़प लिया था और एफआईआर दर्ज होने के तीन साल बीत जाने के बावजूद पूर्व विधायक के खिलाफ पुलिस द्वारा कोई आरोप पत्र दायर नहीं किया गया। इस पर कोर्ट ने मंगलवार को ठाणे पुलिस को पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र मेहता के खिलाफ २०२१ में दर्ज इस मामले में निष्पक्ष जांच करने और दो सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। इस दौरान मेहता द्वारा वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को पुलिस थाने में केक खिलाए जाने का भी जिक्र हुआ।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ मीरा-भायंदर के एक व्यवसायी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में जांच को आगे बढ़ाने के लिए मामले को काशीमीरा पुलिस स्टेशन से मुंबई के किसी अन्य पुलिस स्टेशन या ईओडब्ल्यू में स्थानांतरित करने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान वकील यशोदीप देशमुख और विनोद सांगविकर ने अदालत के समक्ष कहा कि यह मामला ठाणे में घोड़बंदर रोड पर एक इमारत के निर्माण से संबंधित है, जिसे कथित तौर पर मेहता ने हड़प लिया था और एफआईआर दर्ज होने के बावजूद कोई आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है। पीठ ने देखा कि एक आरोप पत्र दायर किया गया था, लेकिन मामले की जांच पुलिस द्वारा बंद नहीं की गई थी, इसलिए उसने विशेष लोक अभियोजक प्रदीप घरत से मामले में प्रगति के बारे में जानना चाहा। इस पर घरत ने कहा कि मामले में नए तथ्य और नए गवाह सामने आ रहे हैं, इसलिए पुलिस द्वारा बयान दर्ज किए जा रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा, ‘जांच निष्पक्ष और निष्पक्ष होनी चाहिए। हम केवल इसके बारे में चिंतित हैं और इसे कानून के अनुसार किया जाना चाहिए।’
हालांकि, देशमुख ने कहा कि पुलिस इस मामले की तीन साल से अधिक समय से जांच कर रही है, जो केवल भूमि लेन-देन से संबंधित है और अभी भी जांच पूरी नहीं कर पाई है। उन्होंने मीरा-भायंदर क्षेत्र के नवघर पुलिस स्टेशन के एक पुलिस अधिकारी को मेहता द्वारा केक खिलाने के बारे में एक वायरल सोशल मीडिया पोस्ट का भी उल्लेख किया और कहा, ‘अधिकांश आरोपियों के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र दायर किया जा चुका है, जबकि मेहता सहित दो लोगों की जांच में दो साल का समय लग चुका है। आरोपी पुलिस स्टेशन के अंदर वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को केक खिलाता हुआ दिखाई दे रहा है। मुझे इस पुलिस पर क्या भरोसा होना चाहिए?’ इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘मिस्टर काउंसिल, केक खिलाने का मतलब यह नहीं है कि जांच निष्पक्ष नहीं होगी।’ पीठ ने घरात को २१ मार्च को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।