सामना सवांददाता / कल्याण
रेलवे अस्पताल, लोको शेड रेलवे इंस्टीट्यूट, रेलवे स्कूल और रेलवे कॉलोनी जाने वाला इकलौता रास्ता बीते कई दिनों से जलमग्न है। घुटने तक भरे पानी के कारण मरीजों, रेलवे कर्मचारियों और स्कूली बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन प्रशासन की उदासीनता ऐसी है कि अब लोगों ने कहना शुरू कर दिया है-कुंभ जाने की जरूरत नहीं, रेलवे ने प्रयागराज की सुविधा कल्याण में ही उपलब्ध करा दी है।
रेलवे प्रशासन मौन, लोग परेशान
रेलवे अस्पताल जाने का केवल एक ही रास्ता है, जो अब पानी से लबालब भरा पड़ा है। बताया जा रहा है कि ड्रेनेज फटने के कारण पानी भर गया है, लेकिन शिकायतों के बावजूद रेलवे प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है। ऐसा लगता है कि अधिकारी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं, ताकि जागने का औपचारिकता भरा नाटक किया जा सके।
मरीजों के लिए अस्पताल पहुंचना बना चुनौती
अगर किसी बीमार को रेलवे अस्पताल ले जाना हो तो वह इलाज से पहले जल परीक्षण के लिए मजबूर हो जाता है। मरीजों को घुटनों तक पानी में चलना पड़ता है, और अगर स्ट्रेचर की जरूरत हो तो परिजनों को खुद ही किसी तरह मरीज को उठाकर अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है। ऐसे में रेलवे प्रशासन से पूछा जाना चाहिए—क्या अब मरीजों को इलाज से पहले तैराकी का प्रशिक्षण लेना पड़ेगा?
रेलवे अधिकारी पानी में, जिम्मेदारी से बेपरवाह
रेलवे प्रशासन की यह घोर लापरवाही जनता की परेशानी से ज्यादा उनकी असंवेदनशीलता को उजागर करती है। जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होगा, तब तक अधिकारी अपनी आरामगाहों में बैठे रहेंगे। सवाल यह है कि अगर यही स्थिति किसी बड़े रेलवे अधिकारी के घर के सामने होती, तो क्या तब भी इतनी ही बेरुखी दिखाई जाती?
रेलवे प्रशासन से मांग है कि इस जलभराव की समस्या का तत्काल समाधान निकाला जाए। अन्यथा, जनता की यह नाराजगी कहीं रेलवे के सूखे आश्वासनों को भी बहाकर न ले जाए।
सीनियर सेक्शन इंजीनियर नंद किशोर ने बताया कि ट्रैक का काम चल रहा था जिससे नाला बंद किया गया था, जिससे पानी सड़क पर आ गया है,दो दिन से तीन दिन में ठीक हो जाएगा।
वहीं रेलवे पीआरओ प्रवीण पाटिल से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने पहले बताया कि थोड़ी देर में बताता हूँ,लेकिन उसके बाद उन्होंने फोन नहीं उठाया।