डिप्टी कमिश्नर की जांच में हुआ खुलासा
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक महिला ने फर्जी दस्तावेज देकर १२ साल तक सफाईकर्मी की नौकरी की। इस मामले से मनपा के अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है, जिन्होंने महिला की नियुक्ति को मंजूरी दी। ४१ वर्षीय महिला ने १२ साल पहले सफाईकर्मी के रूप में मुंबई मनपा में नौकरी हासिल की। महिला ने खुद को एक मृतक सफाईकर्मी की पत्नी बताया था, जो मनपा में काम करता था। सफाईकर्मी की २००८ में मृत्यु हो गई थी और महिला ने मृतक के परिवार के सदस्य के रूप में सहानुभूति नियुक्ति का आवेदन किया और उसके द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों के आधार पर उसे नौकरी मिल गई।
महिला का बचाव
महिला ने अदालत में कहा कि मुझे कुछ एजेंटों ने यह नौकरी दिलवाई थी और मैंने उन्हें १२ साल पहले पैसे दिए थे। अब मुझे १२ साल बाद नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। मेरी एक १४ साल की बेटी है और मैं एक किराए के फ्लैट में रहती हूं। मैं चाहती हूं कि मुझे मनपा में सफाईकर्मी की नौकरी फिर से मिले। महिला ने कहा कि उसे गलत तरीके से फंसा दिया गया और वह निर्दोष है।
एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
मुंबई उच्च न्यायालय ने महिला को ५ लाख रुपए की जमानत दी, लेकिन यह शर्त भी रखी कि महिला अभियोजन गवाहों या साक्ष्यों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी और हर तारीख पर अदालत में उपस्थित रहेगी। महिला को भारत छोड़ने की अनुमति नहीं दी गई है, जब तक कि अदालत से अनुमति नहीं मिलती।
मृतक के सेवा रिकॉर्ड में अंकित था अविवाहित
जांच में सामने आया कि मृतक के सेवा रिकॉर्ड में यह स्पष्ट लिखा था कि वह अविवाहित था और उसने कोई कानूनी उत्तराधिकारी भी नामित नहीं किया था। इसके बावजूद, मुंबई मनपा के अधिकारियों ने महिला के आवेदन को स्वीकार किया और उसे नौकरी दे दी। महिला को १२ साल तक स्थायी नौकरी और अच्छा वेतन मिलता रहा, जबकि वह उस नौकरी की हकदार नहीं थी। यह मामला तब सामने आया, जब मनपा के डिप्टी कमिश्नर ने इसकी जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि महिला ने दस्तावेजों की जालसाजी करने के लिए एजेंटों की मदद ली थी और मनपा अधिकारियों ने इन दस्तावेजों की सही तरीके से जांच नहीं की। महिला की नियुक्ति में हुई लापरवाही के लिए मनपा के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है।